विधि-व्यवस्था

वक्फ कानून पर ‘सुप्रीम’ सुनवाई जारी, सरकार माँगलक समय, आइ होयत चित्र साफ

नई दिल्ली
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सुप्रीम कोर्टमे वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 केँ संवैधानिक वैधताक खिलाफ याचिका पर सुनवाई आई यानी बृहस्पतिकेँ फेर होएत। काल्हि सुनवाई शुरू होइते मुख्य न्यायाधीश जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार आ जस्टिस केवी विश्वनाथन’क पीठ पक्ष सबसँ दू बिंदु पर विचार करबा लेल कहलनि। सुप्रीम कोर्ट कहलक कि ओकरा सामने दू सवाल अछि, पहिल- की ओकरा मामिलाक सुनवाई करबाक चाही आ कि हाईकोर्टकेँ सौंप देल जाय आओर दोसर- वकील कुन बिंदु पर बहस करय चाहैत छथि।

एकर बाद याचिकाकर्ता सभ कोर्टकेँ एही कानूनक कमी गिनौलानी। सरकार कानूनक पक्षमे दलील देलक। कोर्ट ‘वक्फ बाय यूजर’ पर सरकारसँ कठिन प्रश्न कएलक। एकर बाद केन्द्र कोर्टसँ मामिला केर सुनवाई काल्हि करबाक निवेदन कएलक। सरकारक बात मानैत कोर्ट सुनवाईक लेल आई दिन दू बजे केर समय तय कएलक। सुनवाईक दौरान सीजेआई ई सेहो कहलनि जे एकटा बात बहुत परेशान करयवाला अछि, से अछि- हिंसा। ई मुद्दा न्यायालयक समक्ष अछि आ हम एहि पर निर्णय लेब। एहि पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता कहलनि जे एहेन नहि होयबाक चाही जे हिंसाक उपयोग दबाव बनेबाक लेल कएल जाए।

एहीसँ पहिने याचिकाकर्ता केर तरफसँ वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल अपन दलील शुरू कय कहलनि जे संसदीय कानूनक जरिए जे करबाक कोशिश कएल जा रहल अछि, से एकटा आस्था केर आवश्यक आ अभिन्न अंगमे हस्तक्षेप करब अछि। जँ कियो वक्फ स्थापित करय चाहैत अछि तँ ओकरा एहि बातक प्रमाण देबय पड़त जे ओ पाँच वर्षसँ इस्लाम केर पालन कय रहल अछि। राज्यकेँ ई कोना तय करत जे ओ व्यक्ति मुसलमान अछि वा नहि ? व्यक्तिक पर्सनल लॉ लागू होयत।

सिब्बल दलील देलनि जे कलेक्टर ओ अधिकारी होइत अछि जे ई तय करैत अछि जे कोनो संपत्ति वक्फ अछि वा नहि। जँ कुनू विवाद होइत अछि तँ ओ सरकार केर हिस्सा होइत अछि आ एहि तरहेँ ओ अपन मामिलामे स्वयं न्यायाधीश होइत अछि। ई अपनेमे असंवैधानिक अछि। एहिमे ई सेहो कहल गेल अछि जे जा धरि अधिकारी एहेन फैसला नहि करैत अछि, ता धरि संपत्ति वक्फक नहि होयत।

ओ आगू कहलनि जे पहिने मात्र मुसलमान सभ वक्फ परिषद आ बोर्ड केर हिस्सा होइत छल, मुदा संशोधन केर बाद आब हिंदूओ एहिमे हिस्सा लय सकैत छथि। ई संसदीय अधिनियम द्वारा मौलिक अधिकार सभ केर सीधा हनन अछि।

कपिल सिब्बल जामा मस्जिदक मुद्दा सेहो उठेलाह। सीजेआई कहलनि कि जामा मस्जिद सहित सभ प्राचीन स्मारक संरक्षित रहत। हुनकर कहब छल कि एहेन केतेक अछि ? एहि बारेमे कानून अहाँक पक्षमे अछि। सभ पुरान स्मारक, जामा मस्जिद सेहो संरक्षित रहत।

सिब्बल कहलनि जे 20 करोड़ लोकनिक अधिकार छीनल जा रहल अछि। मानि ली जे हमरा लग कुनू संपत्ति अछि। हम एकरा दान करऽ चाहैत छी। हम चाहैत छी जे ओहिठाम अनाथालय बनाओल जाए। एहीमे की परेशानी अछि। हमरा रजिस्टर करायब कियैक जरूरी अछि? एहि पर सीजेआई कहलनि जे वक्फ पंजीकृत कराओल जायत तऽ ई अहाँक मदद करत। जस्टिस विश्वनाथन कहलनि जे अल्लाह केर अछि से वक्फ अछि। कानूनमे झूठ
दावासँ बचबाक लेल वक्फ डीडक प्रावधान अछि। एहि पर सिब्बल कहलनि जे ई एतेक आसान नै अछि। वक्फ सैकड़ों वर्ष पहिने बनल अछि। आब 300 वर्ष पुरान संपत्तिकेँ वक्फ डीड मांगल जाएत तऽ समस्या अछि।

सुप्रीम कोर्ट केन्द्रसँ पुछलक, की ओ मुसलमान सभकेँ हिन्दू धार्मिक ट्रस्टक हिस्सा बनेबाक अनुमति देबैक लेल तैयार अछि। सुप्रीम कोर्ट वक्फ बाय यूजरक प्रावधान पर सेहो सवाल उठेलनि। सीजेआई खन्ना कहलनि कि 14वीं आ 16वीं सदीक मस्जिद सभ अछि। हुनका लग रजिस्ट्रेशन सेल डीड नहि होयत। एहेन संपत्तिक पंजीकरण केना होयत। हुनका लग की दस्तावेज होएत ? एहेन वक्फकेँ खारिज कय देबाक स्थितिमे विवाद आओर लंबा चलत। हम जनैत छी कि पुरान कानूनक किछु गलत इस्तेमाल भेल, मुदा किछु वक्फ एहेन अछि, जकरा वक्फ संपत्तिक रूपमे पहिचान भेटल अछि। वक्फ बाय यूजर मान्य भेल। जँ अहाँ एकरा रद्द करब तऽ समस्या होयत।

वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी कहलनि जे वक्फ अधिनियमक सम्पूर्ण भारतमे प्रभाव होयत, याचिकाकर्ता सभकेँ उच्च न्यायालयमे नहि भेजल जाए। ओ अधिनियमक खिलाफ दलील पेश कएलनि आ अधिनियम पर रोक लगाबय केर मांग कएलनि। एक वादीक ओरसँ वरिष्ठ वकील हुजेफा अहमदी कहलनि जे उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ इस्लामक स्थापित प्रथा थिक, एकरा खत्म नहि कएल जाय। याचिकाकर्ता सभमे सँ एकक ओरसँ पेश वरिष्ठ वकील राजीव धवन कहलनि जे संशोधन मुस्लिमक धर्मक पालन करबाक अधिकारक उल्लंघन करैत अछि आ दान इस्लामक एक आवश्यक धार्मिक अभ्यास थिक।

सीजेआई खन्ना कहलनि कि जखन ओ दिल्ली उच्च न्यायालयमे छलाह, त हमरो कहल गेल कि ई भूमि वक्फ भूमि अछि। हमरा गलत नहि बुझू। हम ई नहि कहै छी कि सभ वक्फ उपयोगकर्ता द्वारा गलत तरिकासँ पंजीकृत अछि।

केंद्र द्वारा प्रस्तुत सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता कहला कि एकटा संयुक्त संसदीय समिति छल, जे 38 बैठक कयलक। ई कतेको क्षेत्र आ शहरक यात्रा कयलक, परामर्श कएलक आ लाखों सुझावक जाँच कएलक। तकर बाद ई दुनू सदनमे गेल आ तखनि कानून पास कएल गेल।

सुनवाईसँ पहिने मंगलदिन अल्पसंख्यक मामिलाक मंत्री किरेन रिजिजू नवका वक्फ कानूनकेँ कानूनी चुनौतीक जिक्र कय कहलनि, सुप्रीम कोर्ट विधायी मामिलामे दखल नहि देत। रिजिजू कहलनि, संविधानमे शक्तिसभक विभाजन नीकसँ परिभाषित अछि। हमरा एक-दोसरक सम्मान करय केर चाही। जँ काल्हि सरकार न्यायपालिकामे हस्तक्षेप करैत अछि, तँ नीक नहि होएत।

जनतब जे एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी, आप नेता अमानतुल्ला खान, धर्म गुरु मौलाना अरशद मदनी, राजद नेता मनोज झा आओर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड आओर जमीयत-ए-उलमा-ए-हिंद समेत अनेक मुस्लिम संगठन शीर्ष अदालतमे दू दर्जन याचिका दायर कयने अछि। अदालतमे 70 सँ बेसी याचिकाक माध्यमसँ वक्फ संशोधन कानूनकेँ चुनौती देल गेल अछि।

केंद्र आ भाजपा शासित राज्य- राजस्थान, महाराष्ट्र, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ आ असम सरकार सभक ओरसँ सेहो याचिका दायर कएल गेल अछि। केंद्र सरकार द्वारा शीर्ष अदालतसँ कोनो फैसला सुनाबयसँ पहिने हुनक पक्षकेँ सुनयक आग्रह कएल गेल अछि।

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