शिक्षा

स्टूल टेस्ट

धर्मेन्द्र कुमार झा
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किछु दिनसँ मिसरजीक स्वास्थ्य ठीक नै रहैत छलनि, एक दिन तड़पुबाबू सेहो दलाने पर बैसल रहथि त’ मिसरजीके उकासी भेलनि जे बरी काल धरि नै थमलनि ….ई सब देखि सुनि तड़पबाबू चिंतित भ’ गेलथि। मिसरजीक ई दशा देखि हुनका रहल नै गेलनि।
तड़पुबाबू – ‘यौ मिसरजी उकासी त’ आब जगजियार भ’ गेल… अहाँ एना करू, ई चुटपुटिया डाक्टर सभक फेरमें नै परु, सीधा चलु काल्हि दरभंगा। एक स’ एक डाक्टर सब छैक ओहि ठाम, नीक स’ नीक इलाज भ’ जाएत ……. ओहो कम्मे खर्चमें। हमर छोटका सारक साढ़ूके भगिन जमाय, कम्पोटर छथिन्ह अस्पतालमे। बड्ड जोगाड़ी लोक छथि आ हमरासँ, हुनका सिनेहो अधिक रहैत छैन्ह। जहिया कहियो दरिभंगामे भेटि जाइत छथि बिनु रसगुल्ला खुऔने नहि छोड़ैत छैथ। आ दोसर गप्प जे लहेरिया सराय के रसगुल्लो खएला बहुत दिन भ’ गेल। एहि बहन्ने ओहो भ’ जाएत।
(मिसरजी अपना भरि टरकएबाक भरिसक प्रयास कएलनि, मुदा तड़पुबाबू टस्स सँ मस्स नै भेलखिन्ह….. अंततः हुनका मानहे पड़लनि, दोसरे दिन दुनू गोटे विदा भेलाह दरिभंगा लेल…….
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ध्यानार्थ : ‘मैथिली सुलभ पाठ’ काॅलम केर अंतर्गत मैथिली पढ़य केर हिस्सक लगाबय लेल अखबारमे एकटा पुरा पृष्ठ पर मोटका-मोटका अक्षरमे नम्हर फांटमे ई पुरा वृत्तांत अछि। जकरा ऑनलाइन एहि लिंकसँ पढ़ू आ मैथिली भाषा केर बचाउ : https://www.mppdainik.com/e-paper

जनतब : ई ललित कथा धर्मेन्द्र कुमार झा’क चर्चित ‘मिसरजीक दलान’ पोथीसँ अछि। पोथीक लेल 9324373639 संपर्क कय सकैत छी।

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