नवी मुंबईमे श्रीलक्ष्मीनारायण पंचकुण्डात्मक महायज्ञ सह श्रीमद्भागवत कथाक आयोजन
मुंबई समदिया
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मैथिल समाज, नवी मुंबई द्वारा खारघर स्थित जय मालांची आई मंदिर परिसरमे जगद्गुरू स्वामी लक्ष्मणाचार्य महाराजक सानिध्यमे श्रीलक्ष्मीनारायण पंचकुण्डात्मक महायज्ञ सह संगीतमय साप्ताहिक श्रीमद्भागवत ज्ञानयज्ञ कथा केर आध्यात्मिक आयोजन विगत् १३ दिसम्बरसँ कयल गेल अछि। कथा केर प्रथम दिवस स्वामीजी उपस्थित भक्तजनकें भागवत कथाक महात्म्यक विलक्षण वर्णन करैत जीवकेँ कालरुपी साँपसँ मुक्तिक परम तथा सुलभ साधन श्रीमद्भागवत महापुराणक श्रवणकें बतौलनि। परमहंस श्रीशुकदेवजी द्वारा निर्गलित श्रीमद्भागवत संसारक संतापकें समाप्त करैत प्रभुक सानिध्य प्राप्त कराबैत अछि। कलिकालमे आंतरिक शुद्धिक लेल एहिसँ बढ़ि उत्तम एवम् सर्वश्रेष्ठ साधन किछु नहिं अछि। मनुक्खक जन्म-जन्मांतरक अर्जित पुण्यक उदय तथा भगवानक असीम अनुग्रह केर फलस्वरूप सत्संगक दिव्य लाभ प्राप्त होएत अछि।
जखन श्रीशुकदेवजी राजा परीक्षितकें कथा श्रवण करेबाक लेल उपस्थित भेलाह ताहि समय देवतागण अमृत कलश लऽ प्रकट भेलाह। “सुधाकुम्भं गृहीत्वैव देवास्तत्र समागमन्।” देवतागण श्रीशुकदेवजीकें निवेदन करैत कहैत छथि – हे मुनिवर ! अपने ई अमृत कलश स्वीकार कय महाराज परीक्षितकें पान करा दी तथा एकर बदलामे श्रीमद्भागवत कथारुपी अमृतक दान देवतागणकें प्रदान करी। “प्रपास्यामो वयं सर्वे श्रीमद्भागवतामृतम्।” एहि संसारमे कतय काँच (शीशा) आ कतय महामूल्यवान मणि? कतय अमृत, कतय कथारुपी अमृत।”क्व सुधा क्व कथा लोके क्व काच: क्व मणिर्महान।” श्रीशुकदेवजी देवताक स्वार्थपूर्ण व्यवहार सुनि अचंभित भेलाह तथा स्वर्ग वापस जेबाक लेल कहलनि। श्रीमद्भागवत देवताक लेल दुर्लभ अछि।
श्रीमद्भागवत कथाक श्रवण कय जाहि तरहें परीक्षित मुक्त भेलाह ई देखि ब्रह्माजी अत्यधिक विस्मित होयत छथि।सत्यलोकमे तराजू लऽ सभ साधनकेँ तौलब प्रारम्भ कयलनि। मुदा सभ साधन हल्लुक पड़ि गेल तथा श्रीमद्भागवत सभ पर भारी बनल रहल। कलिकालमे मोक्ष प्राप्तिक सुलभ साधन श्रीमद्भागवत कथा श्रवणसँ बढ़ि दोसर कोनो साधन नहि अछि। ई बुझि ब्रह्माजी तथा अन्य ऋषिगण विस्मित भेलाह। पूर्व समय सनकादि ऋषि देवर्षि नारदकें कथाक रसपान करौने छलाह। यद्यपि देवर्षि नारद पूर्वहिं अपन पिता ब्रह्माजीसँ कथा श्रवण कऽ चुकल छलाह। मुदा सप्ताहव्यापी कथा केर विधान सनकादि ऋषि द्वारा प्राप्त करबाक सौभाग्य भेटलनि।