प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आइ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंगक माध्यमसँ गुजरातक सूरतमे ‘जल संचय जनभागीदारी पहल’क शुभारंभ कयलनि। एहि अवसर पर आयोजित कार्यक्रमकेँ सम्बोधित करैत प्रधानमंत्री कहलनि जे आइ गुजरातक धरतीसँ जल शक्ति मंत्रालय द्वारा एकटा महत्वपूर्ण अभियानक शुरूआत कयल जा रहल अछि। ओ कहलनि जे हालक दिनमे देशक कोन-कोनमे जे बरखाक तांडव भेल छल, देशक शायदे कोनो एहन क्षेत्र होयत जकरा एहि समस्याक सामना नहि करय पड़ल होय।
प्रधानमंत्री कहलनि जे एहि बेर गुजरात पर पैघ संकट आयल। प्रकृतिक एहि प्रकोपक सामने ठाढ़ होयब सभ व्यवस्थाक ताकत नहिं छल, बल्कि गुजरातक जनता आ देशवासीक स्वभाव अछि जे संकटक समयमे सभ गोटे कन्हासँ कन्हा मिला कऽ सहायता करैत छथि। ओ कहलनि जे जल संरक्षण मात्र एकटा नीति नहिं अछि, ई एकटा प्रयास सेहो अछि बल्कि ई एकटा पुण्य सेहो अछि। एहिमे उदारता सेहो अछि आ उत्तरदायित्व सेहो। जलकक प्रति हमर दृष्टिकोण संभवतः भावी पीढ़ीक लेल पहिल पैमाना होयत जखन ओ हमरासभक आंकलन करत।
किएकि ई मात्र संसाधनक प्रश्न नहि अछि। ई जीवनक प्रश्न अछि, मानवताक भविष्यक प्रश्न अछि। अतः स्थायी भविष्यक लेल हम जे ९ संकल्प रखलहुँ अछि ओहिमे जल संरक्षण पहिल संकल्प अछि।
‘जल संचय जनभागीदारी पहल’क अन्तर्गत २४,८०० वर्षा जल संचयन कार्य
पीएम कहलनि, “जल संरक्षण, प्रकृति संरक्षण हमरा सभक लेल कोनो नव शब्द नहिं अछि। परिस्थितिक कारण ई हमर काजक हिस्सा नहिं अछि। ई भारतक सांस्कृतिक चेतनाक हिस्सा अछि। हम सभ एकटा एहेन संस्कृतिसँ जुड़ल छी जतय पानिकेँ भगवानक रूप कहल जाइत अछि। नदीसभकेँ देवी मानल जाइत अछि, झील आ कुण्डकेँ मन्दिरक दर्जा भेटल अछि। जल संरक्षण मात्र नीतिक विषय नहिं अछि अपितु सामाजिक निष्ठाक विषय सेहो अछि। जागरूक जनमानस, जनसहभागिता आ जन आन्दोलन एहि अभियानक सबसँ पैघ ताकत अछि।”
उल्लेखनीय अछि जे एहि कार्यक्रमक अन्तर्गत सामुदायिक भागीदारीसँ राज्यभरिमे लगभग २४,८०० वर्षा जल संचयन संरचनाक निर्माण कयल जा रहल अछि। ई पुनर्भरण संरचना वर्षा जल संचयकेँ बढ़यबामे आ दीर्घकालिक जल स्थिरता सुनिश्चित करबामे सहायक होयत।