संपादकीय

राजनेतासँ शालीनताक आश

राजनेतासँ शालीनताक आश
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मिथिला क्षेत्रमे एकटा लोकोक्ति अत्यधिक प्रचलित छैक “बाजल मुंह कहीं बरजल जाए” त’ देशक जे राजनीतिक परिदृश्य अछि, से किछु तेहने सन अछि। हर दलमे एहेन बयानवीर नेता मौजूद अछि, जे अप्पन शब्दवाणसँ विरोधी पक्ष संगहि समाजके घायल करबाक माद्दा रखैत अछि, आ एहि तरहक लोक वा नेता भारतीय लोकतंत्र लेल हानिकारक सिद्ध भ’ रहल छथि। ओना त’ देशक हर नागरिककेँ, संविधान द्वारा अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता देल गेल छैक, संविधानमे त’ नागरिकक, संग – संग अधिकारी, नेता आ मंत्रीकेँ लेल सेहो एहि तरहक प्रावधान छैक। मुदा, कएक बेर लोक एहि अभिव्यक्तिक स्वतंत्रताक दुरूपयोग करैत देखल जाइत छथि जे एकदम सँ अनुचित अछि। संविधानमे अभिव्यक्तिक स्वतंत्रता, समाज आ सामाजिक जिम्मेदारीक ईमानदारीपूर्वक निर्वहन लेल देल गेल अछि। मुदा एहि ठाम त’ लोक अप्पन स्वार्थ, आ नेता – मंत्री लोकनि अप्पन दल आ अप्पन सरकारक रक्षार्थ करैत छथि। शालीनता आ अनुशासनके, लोकतंत्रक आत्मा कहल गेल अछि, शालीन आ अनुशासित व्यक्ति अनायासहि सभक प्रिय बनि जाइत अछि। आ जौं, एहि तरहक व्यक्तित्व राजनीतिमे होय, त’ बुझू ओहि नेतासँ उपयुक्त कोनो आन नहि। राजनेता आ जनप्रतिनिधिकें त’ अप्पन कार्य, अप्पन शालीन व्यव्हारसँ समाजमे उच्च मानदंड स्थापित करबाक चाही। मुदा समयके संग, नेताक बोल आ व्यव्हार सेहो बदलैत रहलैक, आ आब स्थिति एहेन अछि कि, एखन राजनेतासँ, शालीनताक आशा कएनिहार लोक मुर्ख मानल जाइत छथि। देशक राजनीतिमे नेताके उग्रताक पुरान इतिहास रहल अछि। खास क’ चुनावके समय, नेताक आक्रामक होयब बुझल जा सकैत अछि, मुदा हद त’ तहन होइत अछि, जहन ओ अप्पन प्रतिद्वंदी पर हावी होयबाक प्रयासमे, बेर बेर उद्दंडताक सहारा लैत देखल जाइत छथि। कएक बेर त’ नेता, जनसभाके सम्बोधित करैत अपशब्दक प्रयोगसँ सेहो परहेज नहि करैत छथि। एहि क्रममे नेताक भाषण, नफरती भाषणमे परिवर्तित भ’ जाइत अछि। नेताक अभद्र भाषणसँ समाजक आपसी भाईचारा पर आघात होइत अछि। घृणित भाषणके लेल सुप्रीम कोर्ट द्वारा साफ़ कहल गेल अछि कि, सांप्रादायिक सद्भाव बना रखबाक लेल, अभद्र भाषाक त्याग करब परम आवश्यक अछि। राज्य सरकार आ केंद्र सरकार, मात्र एहि तरहक विवाद पर एफआईआर दर्ज क’ अप्पन कर्तव्यक इतिश्री करैत देखल जाइत अछि। जहन कि, कोर्टक कहब छलैक कि, मात्र एफआईआर दर्ज करब समस्याक समाधान नहि अछि, अभद्र भाषाक समस्याके लेल कार्रवाई केर आवश्यकता अछि। मामिला कतेक गंभीर अछि, ई बुझब सभक लेल आवश्यक अछि, किएक त’ धीरे – धीरे सही मुदा, हेट स्पीचके ल’ क’ आम सहमति बढ़ि रहल अछि, आ भारत सन धर्मनिरपेक्ष देशमे धर्मके आधार पर हेट क्राइमक कोनो स्थान नहि होयबाक चाही। पहिनहु कएक बेर न्यायालय द्वारा कहल गेल कि, “हेट स्पीचके ल’ क’ कोनो समझौता नहि भ’ सकैत अछि”। जौं राज्य ,अभद्र भाषाक समस्याके स्वीकार करैत अछि मात्र, तखनहि एकर कोनो समाधान बहार कएल जा सकैत अछि। संगहि अप्पन नागरिकके एहेन कोनो घृणित अपराधसँ बचाएब, राज्यक प्राथमिक कर्तव्य अछि। नफरती भाषण आब सदनसँ सड़क धरि सुनल जाइत अछि, आ चुनावी मैदानमे नेताक निजी जीवनसँ संबंधित विषयके सेहो चुनावी लाभ लेल, नून – मिरचाई लगा क’ प्रचारित कएल जएबाक खतरनाक परंपरा शुरू भेल अछि। जौं हम सभ, अप्पन राजनेताक चुनावी भाषण पर गौर करी त’ प्रतीत होइत अछि कि, भारतक राजनीतिकमे भाषाक एतेक निम्न स्तर, आई धरि नहि सुनल गेल छल। हर चुनावमे राजनेताक भाषण, राजनीतिक विमर्शके पतनक नव – नव कीर्तिमान रचलक अछि। नेताक बिगड़ल बोल, नेते धरि नहि सिमित रहल अछि, आब त’ नेताक बोल, दंगा करबैत अछि, फसाद लाड़ैत अछि आ कएक बेर त’ नेताक बोल हड़ताल आ चक्का जामक कारण सिद्ध होइत अछि। एहि तरहक बोलके हेट स्पीचक श्रेणीमे राखल जाइत छैक, जे एखन देशमे किछु बेसिए प्रचलित अछि। नेता आ प्रभावशाली व्यक्ति, अप्पन हेट स्पीचसँ आन – आन वर्ग आ समुदायक धार्मिक भावना सेहो आहत करैत छथि। नस्ल, धर्म, लिंग आदि तरहक कोनो भेदभावके चलते, कोनो समूह विशेषके विरुद्ध पूर्वाग्रह व्यक्त कएनिहार निंदात्मक आ आक्रामक वक्तव्य, हेट स्पीचक श्रेणीमे राखल जाइत अछि। हेट स्पीच, सामान्य तौर पर ओहि शब्दके संदर्भित करैत अछि, जाहिक उद्देश्य कोनो विशेष समूहके प्रति घृणा पसारब होय, ई एकटा समूह, एकटा समुदाय, धर्म अथवा जाति सेहो भ’ सकैत अछि। एहि तरहक हेट स्पीचसँ कखनहुँ काल क्षेत्रमे हिंसा सेहो होइत अछि। हेट स्पीचके ल’ क’ अलगसँ कोनो कानूनी व्याख्या मौजूद नहि अछि, अपितु अभिव्यक्तिक स्वतंत्रताके अधिकार पर किछु कड़ाई करैत, एक तरहें हेट स्पीचके परिभाषित कएल गेल अछि। संविधानके अनुच्छेद 19 के मोताबिक अभिव्यक्तिक स्वतंत्रताके अधिकार पर 8 प्रकारक प्रतिबंध अछि। राज्यक सुरक्षा, विदेशी राज्यके संग मैत्री संबंध, लोक व्यवस्था, शालीनता आ नैतिकता, न्यायालयक अवमानना, मानहानि, हिंसा भड़काऊ, भारतक अखंडता आ संप्रभुता … एहि सभमे सँ जौं कोनो बिंदुके अंतर्गत कोनो वक्तव्य आ लेख, आपत्तिजनक पाओल जाइत अछि त’ ओहिके विरुद्ध सुनवाई आ कार्रवाईके प्रावधान अछि।

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