मिथिलाक्षर साक्षरता अभियानक ग्यारहम स्थापना दिवस पाक्षिक समारोहक दशम दिन यानि ४ अक्टूबर नार्वेसँ शीला झा’क नाम रहल। हिनकर मधुर स्वर कार्यक्रम केर बान्हने रहल।
साथी कलाकार द्वारा कार्यक्रमक शुरुआत ‘भावनाकेँ ज्योति जलाकेँ देखू,
बाजथिन मैया बजा के देखू’ केर संग भेल। पूरा कार्यक्रम भक्तिमय बनल रहल। प्रेमलता झा भगवती गीत उत्कृष्ट संरक्षक देवेन्द्र झा द्वारा लिखल ‘विनती करै छी माएकेँ दुनू हाथ जोड़िकें’, गाबि शूरूआत कयलैन।
पुनः चिर-परिचित-चर्चित मिसरी घुलल आवाज गुंजल नार्वेसँ शीला झा’क । एक पर एक भक्ति गीतमे गणेश वन्दना, भगवती गीत, लोक गीत, बाल गीत आदिसँ शीला झा श्रोतागणकेँ बाँधने रहलीह। तहिना दिलीप मंडल अपन आकर्षक आवाजमे सभकेँ मुग्ध कयने रहलाह। दूनू गोटेक सोहर, जट-जटिन, सामा-चकेबा, झिझरी, लोरी सभ तरहक गीत गाबि अनुपम प्रस्तुति देलनि। खास कऽ शीला झा जखनि ‘पापा बिसरै नञि छी कोरा, अहाँक चाॅकलेट वाला झोरा’ गओलनि, प्राप्त जानकारीक अनुसार अजय नाथ झा शास्त्री एहेन भाव-विह्वल भेला जे कहल नहिं जाए। ओ मधुबनीसँ सुनि रहल छलथि। धिया-पूता नाशिकमे छनि, दुर्गा पूजामे नाशिक जायवला छलथि, मुदा व्यस्तताक कारण नहिं जा सकलाह । ‘भोला बाबाक नचारी गाबि शीला झा शुक्रक समारोहकेँ विराम देलनि।
कार्यक्रमक संचालक देवेन्द्र झा
कहलनि समय कोना बीति गेल कनियो आभास नहिं भेल। बहुत रास अभियानी कलाकार पुनः वंचित रहि गेलथि।
सभ दिनक भांति वरिष्ठ संरिक्षका रूणू झा, संरक्षक नवीन झा प्रोग्रामक व्यवस्था मे अपन सराहनीय योगदान देलैन। व्यवस्थामे आब एकटा आर वरिष्ठ संरक्षक आगमन भेल अछि। ओ छथि शंभु नाथ झा, वस्तुतः दिलीप मंडल, शिला झा आदि हिनके माध्यमसँ जुड़लथि।
टेक्निकल विभाग वरिष्ठ संरक्षक दीपक आनंद मल्लिक आ वरिष्ठ संरक्षक संजय मिश्रा सँभारने छथि। खास कऽ एखनि विशेष कमान संजय मिश्रा पकड़ने छथि आ अपन सुझ-बुझसँ समारोहक प्रसारक व्यवस्थामे सेहो लागल रहैत छथि।