मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान

मिथिलाक्षर साक्षरता अभियान
पुनः मंगल दिनक बिहार केबिनेट मैथिली भाषाक अधिकारकेँ अनदेखी कयलक : अजय नाथ झा शास्त्री
*
मधुबनी समदिया
*
“बिहार सरकार लगातार नवीन राष्ट्रीय शिक्षा निति २०२० केँ अनदेखी कय रहल अछि। जाहिमे ई अनिवार्य रूपसँ कहल गेल छैक जे विद्यालयक प्राथमिक वर्गक पढ़ौनीक माध्यम स्थानीय भाषा रहत आ जे बिहारक मिथिला क्षेत्रीय विद्यालयक लेल मैथिली अछि। मुदा बिहार सरकार बलात् हिन्दीकेँ माध्यम बनेने अछि आ मैथिलीकेँ अनदेखी कय रहल अछि।” ई बात मिथिलाक्षर साक्षरता अभियानक संस्थापक अजय नाथ झा शास्त्री कहलनि अछि।
शास्त्री आगू कहलनि, “संगहि दोसर मुख्य मुद्दा ई अछि जे बिहारक मिथिला क्षेत्रमे हिन्दीक पत्र-पत्रिका अखबार सरकारी सहयोगसँ फलि-फूलि रहल अछि, मुदा मैथिली पत्र-पत्रिका अखबारकेँ सरकारी सहयोग नहिं भेटि रहल छैक, फलतः एकर हालात दयनीय बनल छैक।”
ओ आगू कहलनि जे एहि विषय पर सोमदिन बिहारसँ राज्य सभा सांसद आ जदयू नेता संजय झा’क टोल फ्री नंबर पर फोन कय ओ प्रतिनिधिकेँ एहि दुनू मुद्दा पर संज्ञान लय मंगल दिनक कैबिनेटमे पारित करय केर अनुरोध कयने रहथि, मुदा एकरा अनसुनी कयल गेल।
शास्त्री आगू कहैत छथि जे, “आखिर सरकारक मंशा की छै, ओ किएक मैथिलीकेँ जड़िसँ समाप्त करय चाहैत अछि, किएक मिथिलावासीक बच्चाकेँ विद्यालय प्रवेश करैत देरी अतिरिक्त भाषाक बोझ पड़ैत छैक, एहिसँ बच्चाक मस्तिष्क पर भाषाक अलगसँ भार पड़ैत छैक आ ओकरा विषय बुझयमे कठिनाई होइत छैक, दोसर चुँकी बच्चाकेँ विद्यालय जाइत देरी हिन्दीमे पढ़ाई हेतै, तें माँ-बापकेँ घरोमे अपन मातृभाषा छोड़ि ओकरा संगे हिन्दीमे बात करय पड़ैत छैक आ बच्चाकेँ शुरुआतेसँ हीन भावना ग्रसित भऽ जाइत छैक जे मैथिली आगू बढ़य केर भाषा नहिं अछि, आ ओ मैथिली केर बिसरैत चलि जाइत अछि, ओकर मानसिकतामे ई घर करय लगैत छैक जे मैथिली आधिकारिक भाषा नहिं अछि, सरकारी व्यवहारक भाषा नहिं अछि, फलतः आगू जखनि मैथिली उच्च शिक्षामे व्यवहारमे राखल गेल अछि तऽ विद्यार्थी पढ़य लेल तैयार नहिं होइत अछि। तहिना घर-घर हिन्दी अखबारक प्रचलनसँ आ मैथिली अखबारक अनुपलब्धतासँ मैथिली भाषा लगभग मृतप्राय भेल जा रहल अछि आ मिथिलावासीसँ ई छुटल जा रहल अछि।”
शास्त्री आगू कहलनि जे ई एकटा सोचल-समझल नितिक तहत कयल जा रहल अछि ताकि पूरा बिहारक भाषा मात्र हिन्दी बनि कऽ रहय, हिन्दी थोपय केर ई साम्राज्यवादी निति खतरनाक अछि आ एहि लेल मिथिलावासी सड़क पर आओत।”
ओ इहो कहलनि जे, ” इएह कारण अछि जे आइ महाराष्ट्र आ दक्षिणक राज्य नवीन राष्ट्रीय शिक्षा नीतिक तहत हिन्दीकेँ वैकल्पिको भाषाक रुपमे स्वीकार नहिं कऽ रहल अछि, कारण ओकरा अंदेशा छैक जे आगू जाकय हिन्दी स्थानीय भाषाकेँ समाप्त कय देत, बलात थोपल जाएत सरकार द्वारा, ई बहुत भयावह स्थिति अछि, एहि पर केंद्र सरकारकेँ सेहो शिघ्र संज्ञान लेबाक चाही।”
