संविधानक अष्टम सूचीमे शामिल मैथिली भाषा बाजनिहारक संख्या एनसीईआरटी केर सीबीएसई केर पोथीमे मात्र 1करोड़ 12 लाख देखा रहल अछि। जखनि कि भाषा विज्ञानी डॉ ग्रियर्सनक मुताबिक 1931 ई मे लगभग 3-4 करोड़ लोक मैथिली भाषा बाजनिहार रहथि। ओहि मुताबिक 2025 ई मे एकर संख्याम कतेको गुणा अधिक बढबाक चाहि। मुदा ई चिंतनीय विषय अछि। नहि विद्वान, नहि नेता, नहि मैथिली मंचक तथाकथित मठाधीश सुधि लैत छथि, खाली स्वार्थ आ गोल -गोल गप्प आओर उपरौंझ करताह। उपरोक्त बात महिषी निवासी मैथिली अभियानी शिक्षाविद दिलीप कुमार चौधरी कहलनि।
ओ कहलनि जे एनसीईआरटी केर पोथीमे मिथिलाक गौरवशाली अतीत, व्यक्तित्व, संस्कृति, लोककला, लोकनृत्य, साहित्यकार, कवि, लेखक, राजा-महाराजाक शिक्षामे योगदान , पूरातात्विक ,दार्शनिक, लोकगायक, गायिका आदिक चर्चा कतहु देखबामे नहि आबि रहल अछि। एहि तरहक उपेक्षा घोर निंदनीय आ असहनीय अछि। हम एहि तरहक हर उपेक्षाक तरफ आवाज उठावैत रहल छी। सामूहिक रूपसँ सरकार पर दबाव बनायब आवश्यक अछि।
श्री चौधरी कहलनि जे पहिने मिथिला एकटा देश छल। जकर राजा जनक आ राजधानी जनकपुर छल। मुगल शासनकालमे कंदर्पी घाटक लड़ाईमे विजय प्राप्त कऽ मिथिला अक्षुण्ण रहल परञ्च अंग्रेजक कुटिल आ षड्यंत्रकारी नीति केर तहत सुगौली संधि 1916 मे कयल गेल जाहिमे मिथिलाकेँ नेपाल आ भारतमे काटि-छांटि छिन्न भिन्न कऽ देलक। तहियासँ मैथिल अपन अस्तित्वक लड़ाई लड़ि रहल अछि। जकरा लेल लक्ष्मण झा सन अभियानी अपन जीवन उत्सर्ग कयलनि संगहि साहित्यकार लोकनि सेहो अपन रचनामे मिथिला राज्य लेल लिखलनि।
चौधरी एहि बेरक जनगणनामे मातृभाषा केर रुपमे साकांक्ष भऽ कऽ मैथिली दर्ज करेबाक आह्वान कयलनि। चौधरी कहलनि बिहार सरकारक उपेक्षा नीतिक कारण मिथिला आ मैथिली केर अवनति भऽ रहल अछि। जाहि कारण प्राथमिक विद्यालयमे मैथिली भाषाक पढौनी केर प्रति उदासीन अछि ओतहि मिथिलाकेँ अंगिका बज्जिका मगही संथाली आओर भोजपूरीमे विवाद उत्पन्न करा रहल अछि आ ओतहि मिथिलामे सीमांचल, कोशी, महानंदा क्षेत्रक बेर- बेर उल्लेख कऽ मिथिला मैथिली केर बांटल जा रहल अछि।