काल्हि मंगलसँ नहाय-खाय केर संग छठि पाबनि मुख्य रूपसँ शुरू भेल। घाट पर तैयारी पूरा कऽ लेल गेल अछि।
लोक आस्थाक पाबनि छठि मुख्य रुपसँ काल्हि (५ नवंबर) स्नानक संग शुरू भेल। व्रतीगण गङ्गा आदि नदी, पोखरिमे स्नान कऽ पूजा कयलनि। एकर बाद ओ सभ कद्दूक तरकारी आ भात खाकए व्रतक संकल्प लेताह। संगहि आइ बुधकेँ खरनाक पूजा होएत। पुनः तकर अगिला दू दिन भगवान भास्करकेँ अर्घ्य अर्पित कयल जायत, षष्ठी देवीक पूजा आराधना होएत। ३६ घंटाक व्रत पूजा होइत अछि।
राजधानी पटनामे संवाददाता सभसँ बातचीत करैत छठि व्रती लोकनि कहलनि जे बहुत नीक व्यवस्था कयल गेल अछि। हम सभ पूरा एक सालसँ छठिक प्रतीक्षा करैत रहैत छी। एहि बेर आइ एकर शुरुआत नहाय खायसँ भेल अछि। हम सभ अईठाम स्नान कए पूजा कयलौंह अछि। बिना जलक अर्थात निर्जला ३६ घंटाक उपवास रहत।
संगहि छठ महापर्व एहेन विविधतामे एकता कोनो आन पाबनिमे मुश्किलसँ देखल जाइत अछि। सूर्यक पूजाक ई महान पाबनि जाति-पातिक भेदक बिना एवं साम्प्रदायिक सद्भावक उदाहरण प्रस्तुत करैत अछि।
छठि घाट पर तैयारी पूरा कऽ लेल गेल अछि। पटनामे गंगा आ अन्य नदीक लगभग ५०० घाट पर छठि मनाओल जायत। तैयारी पूरा भए गेल अछि। गंगामे मोटरबोट द्वारा नदी गश्तीक व्यवस्था कयल गेल अछि। घाटपर अस्थायी शौचालय, रनिंग वाटर-टैप, अस्थायी चेंजिंग रूम, यात्री शेड, नियंत्रण कक्षक व्यवस्था कयल गेल अछि। मेडिकल टीमक संग एम्बुलेंस तैनात कएल जाएत। घाटपर प्रकाशक व्यवस्था सेहो कयल गेल अछि। सीसीटीवीसँ निगरानी कएल जाएत। सुरक्षाक व्यापक इंतजाम कएल गेल अछि।