मिथिला क्षेत्रीय बिहारक सहरसा जिलाक ‘नवगीत’ एवं ‘जनगीत’क चर्चित कवियत्री आ प्रसिद्ध साहित्यकार डाॅ. शान्ति सुमन ८० वर्षक अवस्थामे जमशेदपुरक टाटा मेन हाॅस्पिटलमे रात्रि ०७:२२ बजे अंतिम सांस लेलनि। हिनक जन्म १५ सितम्बर १९४४केँ सहरसा जिलाक नवहट्टा प्रखण्ड अन्तर्गत कासिमपुर गाममे भेल छल। हिनक हिन्दी आ मैथिलीमे दर्जनभरिसँ अधिक पोथी प्रकाशित छनि।
जमशेदपुरक टाटा मेन अस्पतालमे हुनकर इलाज चलि रहल छल। हुनका सांस लेबामे समस्या भऽ रहल छलनि, तेँ ओ तीन दिन धरि वेंटिलेटर पर छलीह। डाॅ. शान्ति बेटा, बहू, बेटी आ पोता-पोतीसँ भरल परिवार छोड़ि शांति यात्रा पर विदा भऽ गेलथि।
हुनका नवगीतक पहिल कवयित्री मानल जाइत छथि। हुनकर विशाल सृष्टि संसार अछि। ओ कतेको पत्रिकाक सम्पादन सेहो कयलनि। हुनका पर किछु किताब सेहो लिखल गेल अछि। एहि साल ९ नवम्बरकेँ तुलसी भवनमे हुनका मानबहादुर सिंह लहक सम्मान देल गेल छल।
लंगट सिंह कॉलेजसँ हिन्दीमे स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कयनिहार शान्ति सुमनकेँ महंत दर्शनदास महिला महाविद्यालयमे आजीविका भेटल आ ३३ वर्ष धरि प्राध्यापनक बाद २००४ मे ओतहिसँ प्रोफेसर आ हिन्दी विभागाध्यक्षक पदसँ सेवानिवृत्त भेलीह। ‘आधुनिक हिन्दी कवितामे मध्यमवर्गीय चेतना’ पर पी.एच.डी. उपाधि प्राप्त कयनिहार डॉ. शान्ति सुमनक हिन्दीमे दसटा नवगीत संग्रह प्रकाशित भऽ चुकल छल। हुनकर मधुर स्वरमे कविता सुनबा लेल छात्रक भीड़ लगैत छल। एम.डी.डी.एम. कॉलेजमे ३३ साल धरि ओ महाविद्यालयक सङ्ग-सङ्ग शहरकेँ शाब्दिक रूपसँ समृद्ध कयलनि।
हिनक रचना सभमे -: ओ प्रतीक्षित, परछाई टूटती, सुलगते पसीने, पसीने के रिश्ते, मौसम हुआ कबीर, मेघ इंद्रनील, तप रहे कचनार, भीतर-भीतर आग, पंख-पंख आसमान, एक सूर्य रोटी पर, धूप रंगे दिन, नागकेसर हवा, लय हरापन की, लाल टहनी पर अड़हुल, सान्निध्या आदि सम्मिलित अछि।
कविता संग्रहमे – : समय चेतावनी नहीं देता आ सूखती नहीं वह नदी चर्चित अछि।
उपन्यासमे -: जल झुका हिरन, आलोचनामे -: ‘मध्य वर्गीय चेतना और हिन्दी का आधुनिक काव्य’ प्रसिद्ध अछि।
हिनका भेटल सम्मान सभमे :-
मान बहादुर सिंह लहक सम्मान, महादेवी वर्मा सम्मान, विशिष्ट साहित्य सम्मान, विद्यावाचस्पति सम्मान, भारतेंदु सम्मान, सुरंगमा सम्मान, साहित्य मणि सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, सौहार्द सम्मान, निर्मल मिलिंद सम्मान आ मिथिला विभूति सम्मान सम्मिलित अछि। हिनक निधनसँ समस्त मिथिला द्रवित अछि । ‘मैथिल पुनर्जागरण प्रकाश’क श्रद्धांजलि।