वित्त-अर्थ

चालू वित्तीय वर्षमे वृद्धि ६.६% वृद्धि दरक अनुमान, रिपोर्टक अनुसार अर्थव्यवस्थामे लचीलापन बनल

नई दिल्ली
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भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलापन आ स्थिरताक प्रदर्शन कऽ रहल अछि। २०२४-२५ मे सकल घरेलू उत्पाद ६.६ प्रतिशतक वृद्धिक अनुमान अछि। भारतीय रिजर्व बैंक अपन एकटा रिपोर्टमे ई बात कहलक अछि। आरबीआईक वित्तीय स्थिरता रिपोर्टक अनुसार, सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति अनुपात कतेको वर्षक निम्नतम स्तर पर पहुँचि गेल अछि।

आरबीआईक रिपोर्टक अनुसार, एनबीएफसी पर्याप्त पूंजी बफर, मजबूत ब्याज मार्जिन आ आय एवं बेहतर परिसंपत्ति गुणवत्ताक संग स्वस्थ बनल अछि। आर.बी.आई.क रिपोर्टमे कहल गेल अछि जे खरीफ फसिल आ रबी फसलक सम्भावनाक अवस्फीतिकारी प्रभावसँ खाद्य पदार्थक दाममे कमी अयबाक आशा अछि।

भारतीय अर्थव्यवस्था लचीलापन आ स्थिरताक प्रदर्शन कऽ रहल अछि आ २०२४-२५ मे सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) ६.६ प्रतिशतक दरसँ बढ़बाक अनुमान अछि। एकरा ग्रामीण उपभोगमे पुनरुत्थान, सरकारी उपभोग आ निवेशमे पुनरुत्थान, सेवा क्षेत्रसँ मजबूत निर्यातक समर्थनसँ समर्थन भेटत। ई बात सोमदिन आरबीआई के रिपोर्टमे कहल गेल अछि।

रिजर्व बैंक वित्तीय स्थिरता रिपोर्टक दिसंबर २०२४क अंक जारी कयलक अछि। ई रिपोर्ट भारतीय वित्तीय प्रणालीक लचीलापन आ वित्तीय स्थिरताक जोखिम पर वित्तीय स्थिरता आ विकास परिषद (एफएसडीसी) उप-समितिक सामूहिक मूल्यांकनकेँ दर्शाबैत अछि।

रिपोर्टमे कहल गेल अछि, “मजबूत लाभप्रदता, घटैत गैर-निष्पादित परिसम्पत्ति आ पर्याप्त पूँजी आ तरलता बफरसँ अनुसूचित वाणिज्यिक बैंक (एससीबी)क संख्या बढ़ल अछि। परिसम्पत्ति पर प्रतिफल (आरओए) आ इक्विटी पर रिटर्न (आरओई) दशकक उच्चतम स्तर पर अछि, जखन कि सकल गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (जीएनपीए) के अनुपात अनेको वर्षक निचला स्तर पर आबि गेल अछि।”
अधिकांश अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकमे पर्याप्त पूँजी बफर अछि।
आरबीआईक अनुसार, मैक्रो स्ट्रेस टेस्टसँ पता चलैत अछि जे अधिकांश एससीबीमे पर्याप्त पूंजी बफर छैक। तनाव परीक्षण म्यूचुअल फंड आ क्लियरिंग निगमक लचीलापनक सेहो संकेत दैत छैक।

अर्थव्यवस्था पर एफएसआर कहलक जे वास्तविक जीडीपी वृद्धि (साल-दर-साल) २०२४-२५क पहिल छमाहीमे घटि कऽ ६ प्रतिशत रहि जायत, जे २०२३-२४क पहिल छमाही आ दोसर छमाहीमे क्रमशः ८.२ प्रतिशत आ ८.१ प्रतिशत दर्ज कयल गेल छल।

आरबीआई कहलक, “घरेलू कारक, मुख्य रूपसँ सार्वजनिक उपभोग आ निवेश, मजबूत सेवा निर्यात आ आसान वित्तीय स्थितिक मजबूत समर्थनक कारणेँ २०२४-२५क तृतीय आ चौथी तिमाहीमे वृद्धिमे सुधार होयबाक आशा अछि।”

मुद्रास्फीति पर रिपोर्टमे कहल गेल अछि जे आगाँ बढ़ैत खरीफ फसलक अवस्फीतिक प्रभाव आ रबी फसलक संभावनाक कारण खाद्य पदार्थक दाम नरम होयबाक आशा अछि। दोसर दिसि, चरम मौसमक घटनाक बढ़ैत आवृत्ति खाद्य मुद्रास्फीतिक गतिशीलताक लेल खतरा उत्पन्न कऽ रहल अछि। निरंतर भू-राजनीतिक संघर्ष आ भू-आर्थिक विखंडन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला आ वस्तुक दाम पर सेहो दबाव बना सकैत अछि।

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