‘विलुप्त होती मिट्टी से निर्मित पारम्परिक मूर्तिकला कार्यशाला” क समापन काल्हि (13 जुलाईकेँ) पटना स्थित बुद्ध स्मृति पार्क संग्रहालय’मे समारोहपूर्वक भेल।
एहि समारोहमे तीनटा प्रशिक्षिका समेत 52टा कलाकार एवं हुनक परिजन सभक अतिरिक्त भारी संख्यामे दर्शक एवं आगंतुक सभ उपस्थित छलथि।
ज्ञातव्य जे एहि अद्भुत कार्यशालामे मिथिलाक लोक परम्परा, पाबनि-तिहार एवं रीत-रेवाज, विवाह संस्कारमे उपयोग होमय वला काँच माटिसौं बनल कलाकृति सभ, जेना— हाथी जनक डाला, सीरी, ठक-बक, कोठी, मोड़ा, चूल्हा, सामा – चकेवा, मौनी-पौती आदिक अतिरिक्त गणेश जी, मत्स्य अवतार, शिवजी, घोड़ा, माँछ, कछुआ आदिक निर्माण एवं प्रदर्शन कएल गेल। एहि अद्भुत, सुन्दर एवं दुर्लभ कलाकृति सभकें देखि अभिभूत आगंतुक विद्वान अतिथि सभ अपन उद्गार व्यक्त कएने बिना नहि रहलैथ।
माटिक मूर्तिकला पर आयोजित एहेन पहिल कार्यशालामे अपन उपस्थितिसँ हर्षित आर्किंयोलॉजिकल सर्वे ऑफ़ इंडिया केर वरिष्ठ पदाधिकारी मध्य प्रदेश निवासी प्रख्यात पुरातत्ववेत्ता डॉ. जलज कुमार तिवारी (जे बिहार मे 25वर्ष सौं बेसी सेवा कऽ चुकल छथि) अपन विशेष उद्बोधनमे कहलन्हि जे एहि कार्यशालामे हुनका मैथिली संस्कृति एवं लोककलासौं साक्षात्कारक अवसर भेटलन्हि। ओ कहलन्हि जे एहिठाम कार्यशालामे निर्मित मूर्ति एवं अन्य कलाकृति सभकें देखिकेँ लगैत अछि जेना विलुप्त होइत माटिक ई कला एखनि एहि कलाकार सभक हाथमे सुरक्षित अछि।
एहि समारोहक विशिष्ट अतिथिक रूपमे मंच पर विराजमान बिहारक वरिष्ठ पुराविद एवं संग्रहालय निदेशालय केर पूर्व निदेशक डॉ. उमेश चन्द्र द्विवेदी अपन वक्तव्यमे कहलन्हि जे माटिक लोककलाकेँ एक बेर पुनः गढ़य केर काज एहि कार्यशालामे कएल गेल अछि जे सभक ध्यान अपना दिशि आकर्षित कऽ रहल अछि। इतिहासक विभिन्न कालखंडमे मूर्तिकलाक विकास यात्राक चर्च करैत ओ कहलन्हि जे माटिक मूर्तिकला निर्माणक क्षेत्रमे बिहार केर अग्रणी भूमिका रहल अछि।
समापन समारोहक मुख्य अतिथि बिहार संग्रहालयक अपर निदेशक अशोक कुमार सिन्हा कार्यशालाक प्रशंसा करैत कहलन्हि “जे माटिकेँ छुबैत अछि वैह शिखरकेँ छुबैत अछि।” ओ ईहो कहलन्हि जे जगदम्बा देवी समेत पद्मश्रीसँ सम्मानित मिथिला पेंटिंग केर अधिकांश कलाकार अपन कला यात्राक आरम्भ माटिएक संग कएलन्हि।
संगीत नाटक अकादमी अवार्ड सौं सम्मानित चेतना समितिक उपाध्यक्ष एवं मैथिली कला मंचक वरिष्ठतम रंगकर्मी प्रेमलता मिश्र ‘प्रेम” कहलन्हि जे एहि कार्यशालामे मिथिलाक माटिक मूर्तिकला जीवंत भऽ उठल अछि। एहेन कार्यशालाक कोनो पूर्व अनुभव हुनका पटनामे नहि भेल छन्हि।
बुद्ध स्मृति पार्क संग्रहालयक संग्रहालयाध्यक्ष डॉ. शिव कुमार मिश्र समारोहमे आगंतुक अतिथि लोकनि एवं कार्यशालाक संयोजिका अलका दास समेत सभ कलाकार प्रतिभागी आओर सहयोगी सभकें धन्यवाद दैत कहलखिन जे हुनक प्रयास रहतन्हि जे आगुओ एहेन कार्यक्रम सभक आयोजन सभक सहयोगसौं होइत रहय।
भारत विरासत निधि (इंटैक) पटना एवं बिहार चैप्टरक समन्वयक तथा प्रसिद्ध इतिहासकार एवं संस्कृति संरक्षक भैरव लाल दास एहि विलक्षण कार्यशाला केर आवश्यकताकेँ रेखांकित करैत एकर उद्देश्य, उपयोगिता एवं उपादेयता पर विस्तारसँ विचार रखलन्हि आ एहि आयोजनमे सहयोग देबाक लेल सभक प्रति विनम्रतापूर्वक आभार व्यक्त कएलन्हि।
एहि समारोहमे कल्पना मिश्रा एवं गीता अग्रवाल सहित आमंत्रित अतिथि एवं वक्तागण सभक स्वागत -सत्कार मिथिला परम्परानुसार कएल गेल। हुनका सभकें दोपटा (चादर) आओर प्रतीक चिन्ह दऽ कए सम्मानित कएल गेलैन्ह।
एहि अवसर पर उपस्थित मिथिला मैथिलीक सुप्रतिष्ठित वरिष्ठ कवि सुरेन्द्र शैलकें सेहो सम्मानित कएल गेलैन्ह।
उल्लेखनीय अछि जे एहि कार्यशालामे अलका दास, नीता कर्ण, निभा लाभ आदि प्रशिक्षिकाक संग सरोज चौधरी, संजना दास, सुजाता मिश्रा, रश्मि कुमारी, तृप्ति रानी, अंजना कर्ण, रंजना दास, सविता कुमारी, अभिलाषा झा, निशा गुप्ता, अंजलि नयन, रंजीत कुमार, अर्चना लाभ, श्रुति सुमन, अमृता शाम्भवी, नविता कुमारी, सपना दास, कल्पना मिश्र, स्वाती कुमारी, चुलबुल कुमारी, बुलबुल कुमारी, ऋचा कुमारी, कंचन कुमारी, गीतांजलि झा, रागिनी मिश्रा, ममता कुमारी, पम्मी चौधरी, अर्चना कुमारी, ट्विंकल कुमारी आदि सहित चारि दर्जनसँ बेसी महिला प्रतिभागी छलीह, जे एहि अनुपम कार्यशाला केर महत्ता एवं सफलताक द्योतक अछि।
एहि कार्यशाला केर समापनक अवसर पर दूई टा बाल कलाकार अंश राज एवं अमन सहित सभ प्रतिभागी कलाकारकेंँ सहभागिता प्रमाणपत्र प्रदान कए सम्मानित कएल गेल।
कार्यशालामे बनाओल गेल कलाकृति सभक उत्कृष्टता एवं उपादेयता स्वयं सिद्ध अछि। सम्प्रति, बुद्ध स्मृति पार्क संग्रहालयमे 13 सँ 19 जुलाई धरि आयोजित भऽ रहल ‘अनगढ़ मिट्टी से निर्मित पारम्परिक मूर्तिकला प्रदर्शनी’ सभक लेल अवश्यमेव द्रष्टव्य अछि।
ध्यातव्य अछि जे एहि कार्यशालाक सफलता एवं प्रदर्शनीक आयोजनमे मैथिल समाजक कलाकार सभक महत्वपूर्ण योगदान रहल। सम्पूर्ण मिथिला एवं मैथिल समाज आई अपन कला एवं सांस्कृतिक विरासत पर गौरवान्वित भऽ रहल अछि।