संपादकीय

चुनावमे खर्चक सीमा

चुनावमे खर्चक सीमा
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लोकतान्त्रिक प्रणालीमे चुनावक, एकटा महत्वपूर्ण स्थान छैक, देशमे चुनावके लोकतंत्रक महापर्व कहल जाइत छैक। देशमे निष्पक्ष आ निर्बाध रूपसँ चुनाव संपन्न होय, एहि लेल भारत निर्वाचन आयोग छैक, जे चुनाव आयोगक नामसँ सेहो जानल जाइत अछि। पंचायतसँ लोकसभा धरिक चुनाव लेल, चुनाव आयोग द्वारा दिशा निर्देश जारी कएल जाइत छैक। देशमे चुनाव करएबाक नियम सेहो बनल छैक आ आयोगक ई प्रयास रहैत छैक कि, हर नेता आ हर राजनीतिक दल, चुनाव प्रक्रियामे आयोग द्वारा जारी कएल गेल दिशा निर्देशक पालन करए। एहि लेल चुनाव आयोग द्वारा, हर चुनावसँ पूर्व आदर्श आचार संहिता लागु कराओल जाइत छैक। खर्चक सीमा सेहो हर चुनाव लेल तय कएल गेल छैक। एखन देशमे लोकसभा चुनावक प्रचार – प्रसार अप्पन चरम पर अछि। सत्ताधारी भाजपाक संग – संग हर राजनीतिक दल अपना स्तरसँ पूरा प्रयास क’ रहल अछि। जाहि हिसाबेँ मंहगाई बढ़ि रहल अछि, स्वाभाविक छैक कि, चुनावी खर्च जुटाएब सेहो आब साधारण गप्प नहि। कहल त’ जाइत अछि कि, चुनावमे एखन धनबल आ बाहुबलक आवश्यकता सभसँ अधिक होइत छैक। हर राजनीतिक पक्ष पर टिकट बेचबाक आरोप, समय – समय पर लगिते रहैत अछि त’ पहिने टिकट लेल पाई, पुनः प्रचार – प्रसार लेल पाई आ कएक ठाम त’ मत प्राप्त करबाक लेल सेहो पाइयक दरकार होइत छैक। सरल भाषामे कहल जाए त’ चुनाव सेहो आब मंहगीक चपेटमे अछि। मुदा, एहि बीचमे एकटा समाचार जे, सभक ध्यानाकर्षण कएलक अछि, ओ देशक वित्तमंत्री निर्मला सीतारमणसँ संबंधित अछि। कहल गेल कि, भाजपा एहि चुनावमे 370 सीटक लक्ष्यक संग मैदानमे अछि आ ताहि लेल भाजपा द्वारा हर तरहक प्रयास कएल जा रहल अछि। साम, दाम, दंड आ भेद तमाम अस्त्रक प्रयोग कएल जा रहल छैक, विपक्षी पार्टीक सांसद – विधायक, धराधर भाजपामें शामिल भ’ रहल छथि, आ भाजपा सेहो अप्पन लक्ष्य प्राप्तिक लेल सभकेँ टिकट द’ रहल अछि। एहि क्रममे अनेको पार्टी बिखरि गेल, आ कतेको परिवार टुटक कगार पर अछि। मुदा भाजपाके, जतहि जे भेटि रहल छैक, ओ माथसँ लगबैत आगू बढ़ि रहल अछि। मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़ आ राजस्थानक विधानसभा चुनावमे जहिना, केंद्रीय मंत्री आ सांसद सभकेँ विधानसभा चुनाव लेल तैयार कएल गेल तहिना आगामी लोकसभा चुनावक महत्ता देखि, अनेको राज्यसभा सांसद एवं वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रीकेँ लोकसभा चुनावमे उतारल जा रहल अछि। किछु नाम त’ राजनीतिक जानकार लोकनि लेल सेहो अप्रत्याशित छल, जाहिमे मनसुख मंडाविया, भूपेंद्र यादव, राजीव चंद्रशेखर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, पियूष गोयल आ निर्मला सीतारमण प्रमुख छलथि। सभक त’ जे जेना, मुदा मिडिया रिपोर्ट्सके आधार पर कहल गेल कि, वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण, चुनाव लड़बामे अप्पन असमर्थता प्रकट कएलनि आ शीर्ष नेतृत्व द्वारा हुनकर प्रस्ताव स्वीकार सेहो क’ लेल गेल। मिडिया रिपोर्ट्सके अनुसार, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण चुनावके लेल टका नहि जुटा सकलीह। सुनएमे थोड़ेक अटपटा लागि रहल अछि कि, देशक वित्तमंत्री आ भाजपाक वरिष्ट सदस्य निर्मला सीतारमण लग चुनाव लड़बाक लेल पाई नहि छैन्ह ! मुदा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण, स्वयं कहलनि कि, भाजपा द्वारा हुनका चुनाव मैदानमे उतरबाक प्रस्ताव देल गेल छल, आ ओ स्वयं एहि लेल अप्पन असमर्थता व्यक्त करैत अस्वीकार कएलनि। एकर पाछा की कारण अछि, एहि प्रश्न पर हुनकर उत्तर छलैन्ह कि, “हमरा लग चुनाव लड़बाक लेल एतेक पाई नहि अछि। हम आभारी छी कि, हमर तर्क स्वीकृत भेल आ हम चुनाव नहि लड़ि रहल छी।” जहन हुनकासँ पूछल गेल कि, अहाँ वित्त मंत्री छी, तैयो अहाँ लग लोकसभा चुनाव लड़बाक लेल पाइयक आभाव अछि ? एहि प्रश्न पर सीतारमण कहलनि कि, “देशक पाई हमर नहि अछि, हमर वेतन, हमर कमाई आ हमर बचत मात्र, हमर अछि।” राजनीतिक जगतमे ई आब एकटा चर्चाक विषय सिद्ध भ’ रहल अछि कि, आखिर चुनाव लड़बाक लेल एकटा प्रत्याशीकेँ कतेक पाई खर्च करए पड़ैत छैक ? ओना, निर्मला सीतारमण स्वयंकेँ चुनावी राजनीति लेल सक्षम नहि मानैत छथि त’ मात्र पाइयेटा कारण नहि छैक, चुनाव प्रक्रियामे आब जाति – धर्म आ क्षेत्र सेहो महत्वपूर्ण मानल जाइत छैक आ निर्मला सीतारमण एहि सभसँ दूर रहब पसिन्न करैत छथि। भरिसक तैं ओ, कार्यालयी राजनीतिमे रहब उचित बुझलनि। पार्टी आ पार्टीक आन – आन प्रत्याशीक प्रचार – प्रसारमे ओ अवश्य शामिल हेतीह मुदा चुनाव नहि लड़तीह ई तय भेल। जतय धरि खर्च सीमाक गप्प अछि त’ लोकसभा सीटक लेल एकटा प्रत्याशी 95 लाख रुपैयासँ बेसी खर्च नहि क’ सकैत अछि। जौं लोकसभा सीटक क्षेत्र, आकारमे छोट अछि त’ ई सीमा 75 लाख रुपैया तय कएल गेल अछि। चुनावके दौरान कएल जा रहल खर्च पर चुनाव आयोगक नजैर त’ रहैत छैक, मुदा प्रत्याशी बेसीकाल एहि तय सीमासँ टपि जाइत छथि। यद्यपि कोनो राजनीतिक दल, कोनो विशेष सीट पर चुनावके दौरान कुल मिला क’ कतेक राशि राशि खर्च क’ सकैत अछि, एहि लेल कोनो सीमा तय नहि छैक। किएक त’ कोनो – कोनो सीट पर स्टार प्रचारक द्वारा रैली वा कार्यक्रम कराओल जाइत अछि त’ खर्च बढब स्वाभाविक छैक। त’ एहि स्थितिमे एहि तरहक खर्चके पार्टीक खर्चमे जोड़ल जाइत छैक। कएक ठाम त’ आर्थिक रूपसँ कमजोर प्रत्याशीकेँ चुनाव खर्च लेल पार्टी द्वारा सेहो सहायता कएल जाइत छैक। खर्चक सीमा जे होय मुदा, विश्व भरिमे सभसँ महंग चुनाव, एखन धरि 2019 मे भेल लोकसभा चुनावके मानल जाइत अछि। सीएमएस (सेंटर फॉर मीडिया स्टडीज) केर अध्ययनके अनुसार एहिमे पार्टी आ प्रत्याशी द्वारा कुल मिला क’ 50-60 हजार करोड़ रुपैया खर्च कएल गेल जे, 2014 मे संपन्न भेल आम चुनावक दुगुना छल। 2019 के आम चुनावमे भेल खर्चक औसत देखल जाए त’ ई एकटा लोकसभा सीटके लेल 100 करोड़ रूपयासँ बेसी होइत अछि। औपचारिक आ अनौपचारिक खर्चके देखैत कहल जाए त’ निर्मला सीतारमण अपना स्थान पर सही छलीह। किएक त’ महंग होइत चुनाव आ चुनावी खर्च वहन करब, हर आदमी लेल संभव नहि अछि।

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