जनसरोकार

अर्थ फर्स्ट, नेचर फर्स्ट, एनवायरनमेंट फर्स्ट : डॉ. जावेद अब्दुल्लाह

दरभंगा
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प्रकृति संरक्षण दिवस आ प्रकृति संरक्षण पखवाड़ाक तेसर चरणमे विश्व प्राकृतिक लोकतंत्र (डब्ल्यूएनडी) आ भूगोल विभाग (एलएनएमयू)क संयुक्त तत्वावधानमे एकटा व्याख्यान सत्रक आयोजन कयल गेल छल। लेखक आ पृथ्वी अधिकार कार्यकर्ता डॉ. जावेद अब्दुल्लाह विषय प्रवेशमे कहलनि, “एवरीथिंग फॉर द अर्थ, नथिंग विदाउट नेचर” अर्थात “ईईएनएन” नामसँ २०२५ मे डब्ल्यूएनडी एकटा वैश्विक आन्दोलन शुरू करय जा रहल अछि। जकर मिशन पृथ्वीक रक्षा करब, प्रकृतिक संरक्षण, विश्व शान्ति आ सार्वभौमिक स्वतंत्रता, स्कूलसँ विश्वविद्यालय आ राजनीतिसँ प्लानेट मार्च धरि अछि। डब्ल्यूएनडी अगिला पाँच सालमे हर स्तर पर काज शुरू करबाक लेल प्रतिबद्ध अछि। डॉ. अब्दुल्लाह आगू “अर्थ फर्स्ट, नेचर फर्स्ट, एनवायरनमेंट फर्स्ट (पृथ्वी प्रथम, प्रकृति प्रथम, पर्यावरण प्रथम) केर नारा देलनि।

“पृथ्वीक रक्षा आ प्रकृतिक संरक्षणमे वर्तमान समाजक भूमिका” विषय पर मुख्य वक्ताक रुपमे वनस्पति वैज्ञानिक प्रो. विद्यानाथ झा अपन व्याख्यानमे कहलनि जे वैश्विक समस्यासँ लड़बाक लेल हमरासभकेँ वैश्विक सोच होयबाक चाही मुदा स्थानीय स्तरसँ काज शुरू करबाक अछि। प्रकृतिक विनाश ग्लोबल वार्मिंग आ नदीसभक सूखबाक रूपमे आयल अछि। आइ हम सभ सुन्दर-सुन्दर पुल तऽ बना लेलौंह, मुदा जँ एकरा देखब तऽ ओहिमे पानिक एक बूंद नहिं अछि। दर्शन विभागक विभागाध्यक्ष आ दार्शनिक चिन्तक प्रो. रुद्रकान्त अमर कहलनि जे प्रकृतिसँ हमर सभ सम्बन्ध समाप्त भऽ गेल अछि, तेँ आइ एहन गोष्ठीक आवश्यकता अछि। अहाँ जे शिक्षा लऽ रहल छी ओहिमे एहन भावनाक कोनो स्थान नहिं अछि, ई मात्र मानसिक व्यायाम अछि, कोनो व्यवहार नहिं अछि। राजनीति विज्ञान विभागक विभागाध्यक्ष प्रो. मुनेश्वर यादव कहलनि जे हमरासभकेँ गाममे जयबाक आवश्यकता अछि, आ ओतय प्रकृति संरक्षणक लेल जे किछु भऽ सकैत अछि से करबाक आवश्यकता अछि। आगाँ प्रो. मुनेश्वर एक-एकटा कऽ पंचायतकेँ बिहारक सभ विश्वविद्यालयमे गोद लेबाक बात कहलनि।

अंग्रेजी विभागक विभागाध्यक्ष प्रो. मंजू राय कहलखिन जे हमसभ प्रकृतिकेँ सेहो नष्ट कए देने छी। हम अपन लोभ कम कए प्रकृतिकेँ संरक्षित कए सकैत छी। बाबा भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊक पारिस्थितिकी विज्ञानी डाॅ वेंकटेश दत्ता कहलनि, “सभ्यता संकटमे अछि किएक तँ हम आधुनिकताक नाम पर विलासिताक जीवन जीबय लागल छी आ अनावश्यक चीजकेँ अपन आवश्यकता बनबैत चलि गेल छी। आइ परिणाम आबि गेल अछि। सत्रक अध्यक्षता करैत प्रो. विनय नाथ झा कहलनि जे विश्वक सभ धर्ममे प्रकृतिक रक्षा आ वस्तुक विनाशकेँ रोकल गेल अछि। मुदा आइ मनुष्य अपन पूरा जीवन एकर विरुद्ध सुख-सुविधाक वासनामे बिता रहल अछि। छात्रगणमे पवन कुमार महतो, श्वेता, पायल, कुमारी पुष्पांजलि, दीपक कुमार, केशव कुमार, राजा कुमार ठाकुर सेहो अपन विचार रखलनि। एहि अवसर पर डॉ. अनुरंजन झा, डॉ. मनुराज शर्मा, डॉ. रश्मि शिखा, डॉ. सुनील कुमार सिंह, रिजवान सहित पैघ संख्यामे स्नातकोत्तर आ पीएचडी शोधार्थी उपस्थित छलाह। सत्रक संचालन मैथिली विभागक शोध-छात्र राजनाथ पण्डित कयलनि।

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