रक्षामंत्री राजनाथ सिंह बृहस्पतिकेँ लाओसमे आसियान रक्षा मन्त्रीसभक बैसारमे शांतिपूर्ण सह-अस्तित्वक बौद्ध सिद्धान्त पर जोर देलनि। ओ कहलनि जे खुजल संवाद विश्वास, समझ आ सहयोगकेँ बढ़ावा दैत अछि।
वियन्तियानमे ११म आसियान रक्षा मन्त्रीसभक बैसार-प्लस फोरमकेँ सम्बोधित करैत रक्षामंत्री कहलनि, “शान्तिपूर्ण सह-अस्तित्वक बौद्ध सिद्धान्तकेँ सभ देश द्वारा बेसी निकटतासँ अपनाओल जयबाक चाही। दुनिया तेजीसँ ब्लॉक आ कैंपमे बँटि रहल अछि, जाहिसँ स्थापित विश्व व्यवस्था पर दबाव बढ़ि रहल अछि।”
राजनाथ सिंह कहलनि जे भारत हिन्द-प्रशांत क्षेत्रमे नौवहनक स्वतंत्रता, निर्बाध वैध वाणिज्य आ शान्ति एवं समृद्धिक हेतु अंतर्राष्ट्रीय कानूनक पालनक लेल ठाढ़ अछि।
ओ कहलनि जे खुला संवाद विश्वास, समझ आ सहयोगकेँ बढ़ावा दैत अछि आ स्थायी साझेदारीक नींव रखैत अछि।
राजनाथ सिंह आगू कहलनि, “संवादक शक्ति सदैव काज करैत रहल अछि, जाहिसँ ठोस परिणाम भेटल अछि। भारतक मानब अछि जे वैश्विक समस्यासभक वास्तविक, दीर्घकालिक समाधान तखनि प्राप्त कयल जा सकैत अछि जखनि देश रचनात्मक रूपसँ जुड़त, एक दोसरक दृष्टिकोणक सम्मान करत आ सहयोगक भावनासँ साझा लक्ष्यक दिशामे काज करत।”
२१म शताब्दीकेँ ‘एशियाई शताब्दी’क रूपमे वर्णित करैत रक्षामंत्री कहलनि जे विशेष रूपसँ आसियान क्षेत्र सदैव आर्थिक रूपसँ गतिशील रहल अछि आ व्यापार, वाणिज्य आ सांस्कृतिक गतिविधिसँ भरल अछि। ओ कहलनि जे एहि परिवर्तनकारी यात्राक क्रममे भारत एहि क्षेत्रक विश्वसनीय मित्र बनल अछि।
भारत आ दक्षिण पूर्व एशियाक बीच गहींर आ व्यापक सांस्कृतिक आ ऐतिहासिक सम्बन्धक उल्लेख करैत १९२७ मे दक्षिण पूर्व एशियाक यात्राक क्रममे गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर द्वारा कहल गेल एकटा उद्धरणक उल्लेख करैत “हम भारतकेँ सभ ठाम देखि सकैत छलहुँ, तैयो हम एकरा नहि चिन्हि सकलहुँ”, ई कथन भारत आ दक्षिण पूर्व एशियाक बीच गहींर आ व्यापक सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक संबंधक प्रतीक अछि।