विधि-व्यवस्था

वक्फ संशोधन कानून पर बहस समाप्त, सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णय सुरक्षित

नई दिल्ली
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वक्फ संशोधन एक्ट मामिलामे अंतरिम राहतक मुद्दा पर सुप्रीम कोर्ट आदेश सुरक्षित रखलक। चीफ जस्टिस भूषण रामाकृष्ण गवई आ जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीहक बेंच लगातार 3 दिन सुनवाई कयलनि। कानून पर रोक लगाबय केर मांग कयनिहार याचिकाकर्ता सभकेँ सुप्रीम कोर्ट कहलक जे संसदसँ बनल कानूनकेँ अंतिम फैसला धरि संवैधानिक मानल जायत। ओकर प्रावधान सभ पर रोक लगाबय लेल बहुत मजबूत आधारकेँ आवश्यकता होयत।

सुनवाई केर पहिल दिन याचिकाकर्ता पक्षसँ 5 वरिष्ठ वकील सभ बहस कयलनि। दोसर आ तेसर दिन केन्द्र सरकार आ किछु राज्य सरकार सभ उत्तर देलनि। एकर बाद एक बेर फेर करीब 2 घंटा याचिकाकर्ता पक्ष अपन बात रखलनि। याचिकाकर्ता सभ केर तरफसँ वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी, हुजैफा अहमदी आ सी यू सिंह बहस कएलनि। केन्द्र सरकार केर तरफसँ मुख्य रूपसँ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पक्ष रखलनि। वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार, राकेश द्विवेदी, मनिंदर सिंह आ गोपाल शंकरनारायण हुनक समर्थनमे संक्षिप्त दलील रखलनि।

याचिकाकर्ता पक्ष द्वारा वक्फ बाय यूजरक पंजीकरण अनिवार्य बनयवाक, वक्फ बोर्डक संपत्ति विवादमे निर्णय सरकारक हाथमे भेनाइ, वक्फ बोर्डमे गैर मुसलमानकेँ सदस्य बनेनाइ, प्राचीन स्मारकमे धार्मिक गतिविधिमे समस्याक आशंका, वक्फ करबाक लेल 5 बर्ष तक मुसलमान होयबाक शर्त आ आदिवासी जमीन पर वक्फ बोर्डक दावासँ रोकबाक बातक विरोध कयल गेल। एकरा मुसलमानसँ भेदभाव आ धार्मिक मामिलामे हस्तक्षेप बताओल गेल।

दोसर दिसि केंद्र सरकार संसद केर दिसिसँ सम्पूर्ण प्रक्रियाक पालन कयलाक बाद कानून बनेबाक हवाला देलक। केंद्र कहलक जे अंतिम सुनवाईसँ पहिने कानून केर धारा पर रोक लगेनाइ सही नहि होयत। जे लोक एतय याचिका लऽ कए आएल छथि, ओ व्यक्तिगत रूपसँ प्रभावित नहि छथि। ओ सम्पूर्ण मुस्लिम समुदायक प्रतिनिधि नहि छथि। कानून सार्वजनिक हितमे बनायल गेल अछि। पुरान वक्फ कानून केर विसंगतिसभकेँ दूर कएल गेल अछि। सरकार कहलक जे वक्फ इस्लामक अनिवार्य हिस्सा नहि अछि। एकरा मौलिक अधिकार सभ जकाँ दर्जा नहि देल जा सकैत अछि।

वक्फ बाय यूजर केर रजिस्ट्रेशन 1923 केर कानूनमे सेहो आवश्यक रहल अछि। 102 वर्षसँ जे लोक रजिस्ट्रेशन नहि करवौलनि, ओ आब विरोध कऽ रहल छथि। जँ संपत्ति हुनक नहि अछि तऽ सामाजिक हितमे एकर इस्तेमाल होयबाक चाही।

पहिने वक्फ केवल मुस्लिमे कय सकैत छल। मुदा वक्फ कानून 2013 मे गैर मुस्लिम सभक संपत्तिकेँ सेहो वक्फ होएबाक प्रावधान राखल गेल छल। एकरा सुधारैत कहल गेल अछि जे वक्फ करय लेल कमसँ कम 5 वर्ष मुस्लिम होबाक शर्त रखल गेल अछि। आदिवासीक जमीनकेँ संविधान सेहो संरक्षण दैत अछि। ओ एहि कानूनमे सेहो कयल गेल अछि। वक्फ बोर्डमे सीमित सदस्य गैर मुस्लिम होयत, जकर भूमिका सेहो बहुत सीमित होयत। प्राचीन स्मारक सभक धार्मिक गतिविधिसभ पर नवका वक्फ कानूनसँ कोनो अंतर नहि आबि रहल अछि।
सुनवाई केर अंतमे तमिलनाडुक एकटा गामक बारेमे एकटा वकील कोर्टमे कहलनि कि गाममे 1500 साल पुरान मंदिर अछि। कतेको सदीसँ ओतय हिंदू रहैत आएल अछि। मुदा पूरा गामक ज़मीन पर वक्फ बोर्ड दावा कय रहल अछि। ऐहेन देशक दोसर हिस्सामे सेहो भऽ चुकल अछि। नव कानून ऐहेन स्थितिक लेल कानूनी समाधान दैत अछि। तें, कोर्ट कानून पर रोक नहि लगाबय।

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