शिक्षा

आ आब संसदक कार्यवाहीक एकसंग (साइमलटेनीसली) भाषान्तरणमे मैथिली सेहो सम्मिलित

नई दिल्ली
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मैथिली भाषा लेल मिथिलावासी सरकारक कृपा पर प्रायः सदासँ निर्भर छथि। जखनि जे भेटि गेल प्रसन्नताक ठिकाना नहिं रहैत छनि, वास्तवमे निर्भर लोकक इएह नीयती होइत छैक तेँ सभटा स्वाभाविके अछि आ कोनो प्रतिक्षित उपलब्धि भेटय तऽ प्रसन्न होबहो केर चाही।

श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी सभक छलथि, मिथिलोवासीक भेलथि आ मैथिलीकेँ सांवैधानिक दर्जा दिऔलनि, निश्चित ई एकटा महान गौरवक बात भेल आ मिथिलावासी तऽ एहिसँ एतेक प्रसन्न भेलथि जे एकर बाद प्रायः आर कोनो मैथिली वा मिथिलावासी लेल आवश्यकते नहिं बुझलखिन आ एखनि धरि तकर उत्सवमे प्रायः बाकी सभ बिसरायल अछि। भले ही राज्य सरकार तकर कोनो खास उपयोग नहिं होबय देलक, मुदा ताहिसँ की, संवैधानिक दर्जा तऽ भेटलै ने।आ वास्तवमे मैथिली एखनि धरि जँ टीकल अछि ताहिमे ई संवैधानिक दर्जाक बहुत महत्व छैक।

ई अलग बात जे जड़ि समाप्त करय केर तथापि प्रयासमे राज्य सरकार तहियेसँ कहियो मिथिला क्षेत्रीय विद्यालयमे प्राथमिक वर्गमे पढ़ौनीक माध्यम मैथिली नहिं होबय देलक, ताकि ततहिसँ बच्चा मैथिली बिसरि जाइ, ततहिसँ बच्चा ई बुझय लागय जे मैथिली हटि गेल अछि, हिन्दी आ अंग्रेजी पढ़य पड़त काम-काजक लेल, पढ़ाईक लेल। आ आगू जा कऽ पता चलैत छैक जे मैथिली तऽ संवैधानिक भाषा छैक मुदा ताधरि वातावरण मैथिली लेल असुरक्षित सन प्रतीत होबय लगैत छैक।

मुदा दस करोड़ लोकक भाषा आ विशाल भू-भागक भाषा ओ अति प्राचीन भाषाकेँ एक झटकामे कियो समाप्त कऽ देत ई वशक बात नहिं, तऽ मिथिलावासीसँ सरोकार तऽ सरकारोकेँ बनले रहैत छैक। फलतः बीच-बीचमे मैथिली केर सरकार द्वारा संजीवनी भेटैत रहैत छैक। राज्य सरकार द्वारा प्रस्ताव नहिं भेजलाक कारण मैथिली शास्त्रीय भाषाक दर्जा पाबयसँ वंचित रहि गेल अछि, यद्यपि मिथिलावासीक प्रबल विरोधक बाद राज्य सरकार द्वारा पुनः प्रस्ताव भेजल गेल अछि, मुदा जे छूटि गेल से पुनः कहिया होएत आ जँ चुनावसँ पहिने नहिं भेल तऽ फेर ठंढ़ा बस्तामे कतेक दिन धरि पड़ल रहत से के कहलक अछि ? तऽ टटका घाव पर मरहम लगेलाक वावजूद पूरा दर्द तऽ मिथिलावासीकेँ कम नहिंये भेल छल।

मुदा एखनि मैथिली भाषाक परिप्रेक्ष्यमे मिथिलावासीक लेल संसदमे सरकार मैथिली भाषाकेँ संसदक कार्यवाहीक एकसंग (साइमलटेनीसली) भाषान्तरणमे मैथिली भाषाकेँ सेहो सम्मिलित कऽ समस्त मिथिलावासीकेँ गौरवक अनुभूति करौलक अछि।

जनतब जे मंगलकेँ संसदमे लोकसभा अध्यक्ष (स्पीकर) ओम बिड़ला संसदक कार्यवाहीक एकसंग (साइमलटेनीसली) भाषान्तरणमे अन्य आर किछु भाषाक संग मैथिली भाषाकेँ सेहो सम्मिलित करय केर घोषणा कऽ मिथिलावासीकेँ गौरवान्वित कयलनि।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला घोषणा कयलनि, “हमरा ई घोषणा करैत अत्यंत प्रसन्नता भऽ रहल अछि कि संसदक भीतर हिन्दी आ अंग्रेजीक अतिरिक्त १० भाषा अर्थात असमिया, बंगाली, गुजराती, कन्नड़, मलयालम, मराठी, उड़िया, पंजाबी, तमिल आ तेलुगूमे साइमलटेनीसली हम पहिनेहें उपलब्ध करा चुकल छी। आब हम आर छः भाषा – बोडो, डोगरी, ‘मैथिली’, मणिपुरी, संस्कृत एवं उर्दू केर सेहो एहिमे सम्मिलित कयलौंह अछि। आ एही केर संग जे अतिरिक्त १६ भाषा अछि, १६ भाषाक भीतर सेहो जेना-जेना मानव संसाधन भेटि रहल अछि हमर प्रयास अछि कि हम साइमलटेनीसली भाषाक रुपान्तरण ताहूमे कय सकी। हम अहाँ सभकेँ इहो बताबय चाहैत छी कि दुनियाक भीतर भारतेक संसद एकटा लोकतांत्रिक संस्था अछि जे एतेक भाषामे भाषान्तरण कय रहल अछि, साइमलटेनीस कय रहल अछि। जखनि हम विश्व स्तर पर ई चर्चा कयलौंह कि हम भारतमे २२ भाषामे एहि तरहक प्रयास कय रहल छी तऽ सर्वथा सभ मंच एकर प्रसंशा कयलक।”

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