मैथिली आओर हिंदी साहित्याकाशक ध्रुवतारा छलाह, राजकमल।
दिलीप कुमार चौधरी * मनुष्यक स्वभाव देवतुल्य होइत अछि। जमानाक प्रपंच आ परिस्थितिक वशीभूत भऽ के अपन देवत्व कें समाप्त
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