संपादकीय

अमेरिकाक टैरिफ नीतिक प्रतिक्रियामे भारतक चुप्पीसँ लेल गेल कदम, डॉलरक प्रभुत्वकेँ देलक चुनौती : के. के. झा

संपादकीय
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भारत वैश्विक व्यापारमे अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करबाक आ रुपयाक अंतरराष्ट्रीय स्थिति मजबूत करबाक दिशामे एकटा ऐतिहासिक डेग चुपचाप उठा लेलक अछि। 5 अगस्तकेँ भारतीय रिज़र्व बैंक  22 देशक विदेशी बैंककेँ विशेष वोस्ट्रो रुपया खाता (Special Vostro Rupee Accounts – SVRA) खोलबाक अनुमति देलक। एहि निर्णयक बाद भारत एहि देश सभक संग सीधे रुपयामे व्यापारिक लेन-देन कऽ सकत, जाहिसँ डॉलरक आवश्यकता समाप्त भऽ जाएत। ई फैसला ओहि समय आयल अछि जखनि अमेरिकाक राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भारतीय निर्यात पर 50% तक टैरिफ लगेबक घोषणा कयलनि।

ई डेग भारतकेँ डॉलर आधारित वैश्विक भुगतान प्रणाली द्वारा होबय’ वला दबावसँ राहत देबामे महत्वपूर्ण साबित भऽ सकैत अछि। एहिसँ नहिं मात्र भारतक विदेशी व्यापार अधिक सुरक्षित होयत बल्कि विदेशी मुद्रा भंडार पर सेहो सकारात्मक असरि पड़त।

विशेष वोस्ट्रो खाता भारत आ साझेदार देशकेँ रुपयामे भुगतान आ निपटानक सुविधा प्रदान करत। एकर सबसँ पैघ लाभ ई अछि जे व्यापारक दौरान मुद्रा विनिमयक जोखिम कम होयत आ डॉलरक कमी वा ओकर महंग होयबाक असरि व्यापार पर नहि पड़त। रूस-यूक्रेन युद्धक बादसँ दुनिया भरिक कतेको देश डॉलर पर अत्यधिक निर्भरता कम करबाक कोशिश कऽ रहल अछि, आ भारतक ई कदम ओहि दिशामे एकटा ठोस पहल अछि। 5 अगस्तक तारीखक सेहो विशेष महत्व अछि, किएक त’ एहि दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीक सरकार द्वारा पहिने सेहो कयेकटा पैघ आ ऐतिहासिक निर्णय लेल गेल अछि। एहि कदमकें “छोट कदम, पैघ बदलाव” कहल जा सकैत अछि, किएक त’ ई भारतकेँ वित्तीय आत्मनिर्भरता आ वैश्विक व्यापारमे अधिक स्वतंत्रताक दिशामे अगिला डेग होयत।

आर्थिक विशेषज्ञक मानब अछि जे जँ आब अधिक देश एहि व्यवस्थामे जुड़त, त’ भारतीय रुपयाक वैश्विक महत्व आर अधिक बढ़ि जाएत। संगहि, भारत अपन ऊर्जा, खाद्य आ रक्षा आपूर्तिकेँ डॉलर आधारित दबावसँ मुक्त क’ सकत। एहिसँ दीर्घकालमे नै मात्र भारतक आर्थिक संप्रभुता मजबूत होयत, अपितु वैश्विक मंच पर रुपयाक एकटा नव पहिचान सेहो बनत।

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