विधि-व्यवस्था

अखिल भारतीय संत समिति एससीमे पूजा स्थल अधिनियम १९९१ केँ देलक चुनौती

नई दिल्ली
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अखिल भारतीय संत समिति अधिवक्ता अतुलेश कुमारक माध्यमसँ सर्वोच्च न्यायालयमे आवेदन दायर कयलक अछि। याचिकामे कहल गेल अछि जे पूजा स्थल अधिनियम १९९१ धर्मनिरपेक्षताक विरुद्ध अछि।

पूजा स्थल अधिनियम १९९१क मामिलामे अखिल भारतीय संत समिति सर्वोच्च न्यायालय पहुँचल। समिति पूजा स्थल अधिनियम १९९१केँ सर्वोच्च न्यायालयमे चुनौती देलक अछि। समिति अपन याचिकामे कहलक अछि जे ई कानून धर्मनिरपेक्षताक विरुद्ध अछि। आब एहि मामिलाक सुनवाई १७ फरवरीकेँ उच्चतम न्यायालयमे होयत।

अधिवक्ता अतुलेश कुमारक माध्यमसँ दायर याचिकामे कहल गेल अछि जे अखिल भारतीय संत समिति १८.५ लाख पुजारी आ १२ लाख सन्तक प्रतिनिधित्व करैत अछि। इहो कहल गेल अछि जे समिति सनातन हिन्दू धर्मक लेल ६ लाख गाम आ ९ लाख मठ आ मन्दिरमे काज करैत अछि।

एकर सङ्गहि याचिकामे कहल गेल अछि जे ई कानून धर्मनिरपेक्षताक विरुद्ध अछि आ धार्मिक स्वतन्त्रताक मौलिक अधिकारक उल्लंघन करैत अछि। १९९१ मे केन्द्र सरकार द्वारा पारित एहि कानूनसँ संत समिति ठगल अनुभव करैत अछि।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा 12 दिसंबरकेँ आदेश देल गेल छल।
वास्तवमे, १२ दिसम्बर २०२४ केँ सर्वोच्च न्यायालय आदेश देलक जे अपन अगिला आदेश धरि देशमे पूजा स्थलक विरुद्ध कोनो आओर मोकदमा दायर तऽ कयल जा सकैत अछि, मुदा ओकरा पंजीकृत नहिं कयल जा सकैत अछि।

इहो निर्देश देल गेल छल जे लंबित मुकदमामे (जेना ज्ञानवापी मस्जिद, मथुरा शाही ईदगाह, सम्भल जामा मस्जिद आदि) अदालतक सर्वेक्षणक आदेश सहित कोनो अंतरिम वा अंतिम आदेश पारित नहिं होएत।

ई अंतरिम आदेश भारतक प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना आ न्यायमूर्ति संजय कुमार आ न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथनक एकटा विशेष पीठ पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, १९९१ सँ सम्बन्धित अनेक याचिकाक सुनवाई करैत पारित कयलक।

जतय किछु याचिका अधिनियमक संवैधानिकताकेँ चुनौती देलक, ओतहि किछु याचिका एकरा सख्तीसँ लागू करबाक माँग कयलक, कानून १५ अगस्त, १९४७क स्थितिसँ पूजा स्थलक धार्मिक चरित्रमे परिवर्तनपर रोक लगा देलक।

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