पुनः तीनदिना होली पर्व पड़ि रहल अछि आ फलतः शोसल मिडियामे चर्चा चरम पर अछि। एहि परिप्रेक्ष्यमे पं. अजय नाथ झा शास्त्री एकर विस्तृत खुलासा करैत मैपुप्र केर जानकारी देलनि, जे एहि प्रकारसँ अछि।
शास्त्री खुलासा करैत कहलनि, पावनि-तिहार तिथि निर्णयक आधार पर होइत अछि आ सदासँ तहिना होइत आयल अछि। महाशिवरात्रि एक्कहि दिन पूरा देशमे छल, बहुत दिनक बाद कोनो पावनिमे शोसल मिडियामे शान्ति बनल रहल।
होली प्रायः दुदिना होइत छैक फाल्गुन पूर्णिमा कऽ दिनमे भगवतीक पातरि आदि आ रात्रिमे होलिका दहन अर्थात सम्मत जरैत अछि आ तकर दोसर दिन अर्थात चैत्र प्रतिपदा कऽ रंग-अबीरक पावनि होली।
आब एहेन छैक जे होलिका दहनमे शास्त्रमे तिथिक निर्णय छैक जे रात्रिमे पूर्णिमा तिथिमे होलिका दहन हेबाक चाही। भगवतीक पातरि दिनमे प्रातः काल होइत छैक, तऽ प्रातःकालीन उदया तिथिक पूर्णिमाक विधान अछि एवं होलीक खेल चैत्र कृष्ण शुद्ध प्रतिपदा कऽ होइत छैक।
विद्वतजनकेँ सबटा ज्ञाते छनि, आमजन अचानक बहुत अधिक बुझब तऽ कन्फ्यूजन भऽ जाएत, तेँ बस एतबा बुझल जाए जे -:
१३-०३-२०२५, बृहस्पतिकेँ प्रातःकालीन पूर्णिमा नहिं अछि, मुदा रात्रिकालीन अछि, तें होलिका दहन १३ मार्च बृहस्पतिकेँ रात्रिमे १०:४७ बजे केर बाद होएत। एही दिन व्रतक पूर्णिमा सेहो अछि, संगहि मासांत अछि।
१४-०३-२०२५, शुक्रकेँ उदया तिथिमे अर्थात प्रातःकालीन पूर्णिमा अछि, रात्रिमे पूर्णिमा नहिं छैक। एकरा स्नान-दानक पूर्णिमा कहल जाइत छैक, तऽ एहि दिन अर्थात १४ मार्च २०२५ केँ भगवतीक पातरि, सिन्दूरार्पण आदि हेतैक। एही दिन संक्रान्ति सेहो अछि।
१५-०३-२०२५, शनिकेँ चैत्र मास शुरू होइत छैक, अर्थात उदया तिथिमे चैत्र कृष्ण शुद्ध प्रतिपदा छैक, तें होलीक रंग-अबीरक धूरखेल एहि दिन अर्थात १५ मार्च शनिकेँ हेतैक। एहि दिन मासादि सेहो अछि।
जँ अपना आपकेँ परास्त नहिं मानी तऽ अपन पंचांग, अपन परंपरा आ अपन पावनि-तिहारक सदा पालन करी। स्वाभिमानक नशासँ सुधरत दशा, बाकी नशा मात्र दुर्दशा।