बिहारमे मतदाता सूचीक विशेष गहन संशोधन (एसआईआर) केर संबंधमे बुधदिन सुप्रीम कोर्टमे सुनवाई जारी रहल। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) केर दिसिसँ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी आओर अधिवक्ता गोपाल शंकर नारायण चुनाव आयोगक प्रक्रिया पर गंभीर सवाल उठेलनि। दुनू गोटे 24 जून 2025 केँ आयोगक आदेशकेँ ‘मनमाना’ आ ‘लाखों मतदाताक मतदानक अधिकारसँ वंचित’ बतौलनि।
अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी कहलनि जे, चुनाव आयोग स्वीकार कयलक अछि जे बिहारमे 65 लाख मतदाताक नाम बिना कोनो जानकारी, दस्तावेज वा उचित प्रक्रियाक अनुसार मतदाता सूचीसँ हटा देल गेल।
ओ जानकारी देलनि जे आयोगक दावा अछि जे एहिमे सँ कतेको लाख लोकक मौत भऽ गेल अछि, कतेको लाख लोक विस्थापित भऽ गेल छथि आओर किछू लाख डुप्लीकेट अछि। मुदा चौंकाबय बला खुलासा ई जे किछु लोक, जिनकर मृत्युक सूचना भेटल छल, जीवित छथि आ कोर्टमे सेहो हाजिर भेलाह, काल्हि ओही कोर्टमे दू गोटे सेहो हाजिर भेलाह। मुदा ईसी केर नाम हटाबयक अधिकारकेँ कियो चुनौती नहिं दऽ रहल अछि। ई प्राकृतिक न्यायक सिद्धांतक उल्लंघन अछि। नाम हटाबैक प्रक्रिया जटिल अछि आ आयोग एकर पालन नहिं कयलक।
संगहि ओ कहलनि जे अरुणाचल प्रदेश आ महाराष्ट्रकेँ एहि प्रक्रियासँ मुक्त कयल गेल अछि, जखनिकि एकरा बिहार आ अन्य राज्यमे लागू कयल गेल अछि। हम ई नहि कहि रहल छी जे बंगालकेँ कम समय देबाक चाही। हम तँ बस एतबे कहि रहल छी जे बिहारक एसआइआरकेँ लेल पर्याप्त समय देल जाय।
एडीआरक लेल पेश गोपाल शंकर नारायण बिहारक संग-संग पश्चिम बंगालमे सेहो एसआईआर प्रक्रिया पर सवाल उठेलनि। ओ कहलनि जे, पश्चिम बंगालमे सेहो बिना कोनो परामर्शक ई प्रक्रिया शुरू कय रहल अछि, मतदाता सूचीमे शामिल हेबाक अधिकार संवैधानिक अछि, जे जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 आ 1951 केर तहत संरक्षित अछि।
नारायण केर तर्क छल कि आयोग ‘निर्मित दस्तावेज’ केर मांग कय ८ करोड़ लोक पर बोझ डाललक, जाहिमे नागरिकता आ अभिभावकक नागरिकता साबित करय केर शर्त सेहो शामिल छल। भले हम जेलमे रही मुदा मतदाता सूचीसँ हमरा नहि हटाओल जाएत। संसद ई अधिकार सुरक्षित रखने अछि।
नारायण सवाल उठेलनि, आयोगकेँ 2003 केर मतदाता सूचीक आधार पर एहेन अभ्यास करबाक अधिकार अछि। ओ एकरा लोकतंत्र लेल अभूतपूर्व आ खतरनाक बतौलनि । ओ कहलनि जे, मतदाता सूची एक बेर तय भऽ गेलाक बाद स्थायी भऽ जाइत अछि। आयोग एकरा मनमाना तरीकासँ नहि बदलि सकैत अछि। जौं एहन होबय देल गेल तँ एकर अंत कतय होयत ? चुनाव आयोग लोककेँ पैघ पैमाना पर मतदानसँ बाहर कय देलक अछि। मतदान हमर अभिन्न अधिकार अछि। भारतकेँ पैघ लोकतंत्र हेबा पर गर्व अछि। की कोनो गार्जियन हमरा सब संग एहि तरहे खेलायत ? चुनाव आयोग ई काज नहि कय सकैत अछि ?