०७) सरकारी/गैर-सरकारी कार्यालय, कोर्ट-कचहरी, बैंक, माॅल, हाट-बाजार, अस्पताल, कोनो अधिकारी (आफिसर), थाना, पोस्ट आफिस, नगर-निगम, विद्यालय, महाविद्यालय अर्थात सर्वत्र मैथिलीमे व्यवहार करु, कियो रोकि नहिं सकैत अछि।
०८) मैथिलीमे व्यवहारक अर्थ, चाहे कोनो अधिकारी होइथ वा कोनो सेवादार, कोनो हाकिम, डाॅक्टर, इंजीनियर, वकील, शिक्षक, कियो होइथ तिनकासँ मैथिलीमे गुमानक संग गप्प करब, सामनेवाला जँ अन्य भाषामे गप्प करैत छथि तऽ शालीनतासँ पुछब जे ‘की अहाँकेँ मैथिली नहिं अबैत अछि’। तहिना कोनो सरकारी/गैर-सरकारी कार्यालय, अर्थात कोनो संस्थान, सभठाम लिखित व्यवहार मैथिलीमे करब आ गौरवक संग करब, बेझिझक करब, कियो रोकि नहिं सकैछ।
०९) व्यवहारसँ रोजगार होइत छैक, अर्थात जकर व्यवहार तकर रोजगार, सर्वत्र मैथिलीमे व्यवहार करब तऽ स्वतः ताहिमे मिथिलेवासीक आवश्यकता हेतै आ स्वतः सबटा रोजगार मिथिलेवासीकेँ भेटतै आ तखनि जेना महाराष्ट्र, बंगाल, पंजाब, दक्षिण आदिक लोककेँ कतौह बाहर जयबाक आवश्यकता नहिं होइत अछि, तहिना मिथिलोवासीकें नहिं होएत। एहिसँ सरकारी नौकरी सेहो सभ क्षेत्रमे उत्पन्न होयत आ सरकारी नौकरीमे आरक्षण आदि जेना रहैत अछि, तहिना रहतै, अर्थात सबहक लाभे-लाभ अछि।
सादर
मैथिली पुनर्जागरण अभियान
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