सर्वोच्च न्यायालय नागरिकता संशोधन अधिनियमक विरुद्ध दायर याचिकापर सुनवाई करैत केन्द्र सरकारकेँ नोटिस जारी कऽ जवाब मांगलक अछि। सर्वोच्च न्यायालय सरकारकेँ ८ अप्रैल धरिक तीन सप्ताहक समय देलक अछि आ सुनवाईक अगिला तारीख ९ अप्रैल तय कयलक अछि। याचिकाकर्ता लोकनि अदालतसँ नागरिकता कानून लागू करबा पर रोक लगयबाक माँग कयलनि, मुदा अदालत एहन कोनो आदेश पारित नहिं कयलक। सीएए केर खिलाफ २०० सँ बेसी याचिका दायर कयल गेल अछि। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला आ न्यायमूर्ति मनोज मिश्रक पीठ एहि याचिकापर सुनवाई कयलक।
केन्द्र सरकार दिससँ सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अदालतमे उपस्थित भेलाह। मेहता पीठसँ आग्रह कयलनि जे २० आवेदनक जवाब देबाक लेल चारि सप्ताहक समय आवश्यक अछि। मेहता इहो कहलखिन जे ई कोनो व्यक्तिक नागरिकता छीनबाक लेल नहिं अछि। नागरिकता कानूनक खिलाफ सुप्रीम कोर्टमे २३७ याचिका दायर कयल गेल अछि।
शीर्ष याचिकासभमे इंडियन यूनियन मुस्लिम लीगक एकटा याचिका शामिल अछि। आईयूएमएल याचिकामे कहलक अछि जे ई कानून धर्मक आधार पर नागरिकता देबाक प्रावधान करैत अछि, जे संविधानक अनुच्छेद १४ आ १५ केर उल्लंघन करैत अछि। आईयूएमएलक अतिरिक्त एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी आ केरल सरकार द्वारा सेहो याचिका दायर कयल गेल अछि।
गृह मंत्रालय ११ मार्चकेँ नागरिकता संशोधन अधिनियमक नियम लागू करबाक लेल अधिसूचना जारी कयलक। एहि अधिनियमक उद्देश्य पाकिस्तान, अफगानिस्तान आ बांग्लादेशसँ अल्पसंख्यक समुदायक शरणार्थीसभकेँ भारतीय नागरिकता देबाक अछि जे ओतय धार्मिक उत्पीड़नक सामना कऽ भारत अबैत छथि। एहि कानूनक अन्तर्गत मात्र हिन्दू, सिख, ईसाई, पारसी, जैन आ बौद्ध धर्ममे विश्वास करयवला लोकसभकेँ नागरिकता संशोधन अधिनियमक अन्तर्गत भारतक नागरिकता देल जायत। मुस्लिम वर्गक शरणार्थीसभकेँ एहिसँ बाहर राखल गेल अछि। मुसलमानसभकेँ कानूनसँ बाहर रखबाक निर्णयक विरोध कयल जा रहल अछि। कानूनक विरोध करयवला लोकक आरोप अछि जे एहि कानूनक आधार धर्म अछि, जे देशक संविधानक विरुद्ध अछि।