वैश्विक स्तर पर स्थानीय मुद्रा केर बढ़ावा देबय लेल भारत द्वारा उठाओल गेल ई ऐतिहासिक डेग
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नई दिल्ली
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दुनियाक तेसर सबसँ पैघ ऊर्जा उपभोक्ता भारत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) सँ कीनल गेल कच्चा तेलक लेल पहिल बेर रुपयामे भुगतान कयलक अछि। वैश्विक स्तर पर स्थानीय मुद्राकेँ बढ़ावा देबाक लेल भारत द्वारा उठायल गेल ई एकटा ऐतिहासिक डेग अछि। ई डेग तेल आपूर्तिकर्तासभमे विविधता लाबय, लेनदेनक लागतमे कटौती आ रुपयाकेँ एकटा व्यवहार्य व्यापार निपटान मुद्राक रूपमे स्थापित करबाक भारतक व्यापक प्रयासक हिस्सा अछि।
ई पहल ११ जुलाई, २०२२ केँ भारतीय रिजर्व बैंकक निर्णयक अन्तर्गत कयल गेल अछि, जाहिमे आयातककेँ रुपयामे भुगतान करबाक अनुमति देल गेल अछि आ निर्यातककेँ स्थानीय मुद्रामे भुगतान प्राप्त करबाक अनुमति देल गेल अछि।
अधिकारी लोकनि एहि बातपर जोर देलनि अछि जे अन्तर्राष्ट्रीयकरण एकटा सतत प्रक्रिया अछि, आ वर्तमानमे एकर कोनो विशिष्ट लक्ष्य नहि अछि।
भारत जुलाईमे यूएईक सङ्ग रुपयाक निपटानक लेल एकटा समझौताकेँ औपचारिक रूप देने छल।
एकर बाद इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन (आईओसी) अबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी (एडनाॅक) सँ भारतीय रुपयामे १० लाख बैरल कच्चा तेल किनबाक भुगतान कयलक। एकर अतिरिक्त, रूसक किछु तेलक आयात सेहो रुपयामे कयल गेल अछि।
भारत अपन तेलक आवश्यकताक ८५ प्रतिशतसँ बेसी आयात करैत अछि। देश एकटा बहुआयामी रणनीति अपनौलक अछि, जाहिमे सबसँ बेसी लागत प्रभावी आपूर्तिकर्तासँ सोर्सिंग, आपूर्ति स्रोतमे विविधता आओर अंतर्राष्ट्रीय दायित्वक पालन पर जोर देल गेल अछि। रूसी तेल आयातक वृद्धिक दौरान राष्ट्रक दृष्टिकोण लाभप्रद साबित भेल, जाहिसँ अरबों डॉलरक बचत भेल।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) सीमा पार भुगतानमे रुपयाक उपयोगकेँ बढ़ावा देबाक प्रयासमे पछिला तीन सालमे एक दर्जनसँ बेसी अंतर्राष्ट्रीय बैंककेँ रुपयामे व्यापार करबाक अनुमति देलक अछि। आरबीआई एखन धरि २२ देशक सङ्ग रुपयामे व्यापार करबाक लेल समझौता कऽ चुकल अछि। वास्तवमे, एना कयलासँ नहिं मात्र भारतीय मुद्राक प्रचलन वैश्विक भऽ जायत, अपितु रुपयाक अन्तर्राष्ट्रीयकरण कयलासँ डॉलरक माँग कम करयमे मदद भेटि सकत। एहिसँ भारतीय अर्थव्यवस्था वैश्विक मुद्राक गिरावटसँ कम प्रभावित होयत। १९७० केर दशकसँ तेलक खरेदीक भुगतान डाॅलरमे करय केर परंपरा चलैत आबि रहल अछि।