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एससीओ समिट 2025 : बहुध्रुवीय विश्वमे भारतक संतुलनकारी कूटनीति
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रिपोर्ट : वरिष्ठ पत्रकार के.के.झा
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तियानजिन, चीन में 31 अगस्त सँ 1 सितंबर 2025 धरि आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन भारत केर वैश्विक कूटनीतिक केंद्रमे प्रतिस्थापित कऽ देलक। सात साल बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीक चीन यात्रा आ चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग एवं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिनसँ हुनकर भेंटसँ विश्व राजनीतिमे नब हलचल पैदा भऽ गेल अछि। ई सब एहि समयमे भऽ रहल जखनि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारतीय निर्यात पर 50% भारी शुल्क लगेलासँ नई दिल्ली आ वॉशिंगटन केर रिश्तामे दरार उत्पन्न भऽ गेल अछि। एहि पृष्ठभूमिमे भारतक सक्रिय कूटनीतिक खेल नै मात्र अमेरिकाक लेल चेतौनी अछि, अपितु दिन प्रतिदिन बदलि रहल विश्व व्यवस्थाक झलक सेहो देखा रहल अछि।

ट्रम्प प्रशासन द्वारा लगाओल गेल 50% आयात शुल्क भारत केर 86.5 अरब डॉलरक वार्षिक निर्यातमे सँ 60 अरब डॉलर केर प्रभावित करत। जाहिसँ वस्त्र आ आभूषण एहेन श्रम-प्रधान उद्योग पर नकारात्मक असरि पड़ल अछि । अमेरिकाक एहि चालिसँ दशकोसँ बनि रहल अमेरिका-भारतक निकटता कमजोर भऽ गेल अछि। सांगहि, रूससँ तेल खरीदबा लेल अमेरिकाक दोहरी नीति, जे चीन केर पैघ आयात केर नजरअंदाज करैत अछि, सँ भारत केर तामस आओर बढ़ा देलक अछि। अमेरिका आ भारतक बीच तीव्र होईत व्यापारिक कटुता, बीजिंग आ मॉस्कोकेँ भारतकेँ अपन पक्षमे करबाक अवसर देलक अछि।

मोदीक वार्ता : चीन आ रूस के बीच संतुलन :-

भारत-चीन वार्ता : मोदी आ शी जिनपिंग के बीच वार्ता 2020 केर गलवान घाटी संघर्षक बाद जमल बर्फ केर पिघलेबाक संकेत छल। वार्ताक मध्य दुनू नेता हिमालयी सीमा पर तनाव कम करबाक, सीधा हवाई संपर्क बहाल करबाक, कैलाश मानसरोवर जेहेन तीर्थ मार्ग केर फेरसँ खोलबाक आ व्यापार आ वीजा प्रतिबंध केर सुलभ करबा पर सहमति जतेला। शी अपन वक्तव्यमे कहला जे भारत आ चीन “प्रतिद्वंद्वी नै, बल्कि साझेदार” अछि, दुनू देशक बीच साझेदारी बहुध्रुवीय एशिया आ वैश्विक सदीक लेल महत्वपूर्ण अछि। हालाकि, दुनू देशक बीच अनसुलझल सीमा विवाद भारतकेँ सतर्क आ व्यवहारिक बनल रहबाक लेल मजबूर कऽ रहल अछि।

भारत-रूस वार्ता : पुतिनक संग मोदीक गर्मजोशी भरल भेंट, जाहिमे दुनू नेता एकहि गाड़ीमे वार्ता स्थल तक जेबा लेल यात्रा कयला आ जाहि तरहे दुनू एक दोसरकेँ गला मिलला, ओ भारत-रूसक बीच मजबूत संबंधकेँ रेखांकित कऽ रहल। रूसी तेल भारतक ऊर्जा सुरक्षा लेल महत्वपूर्ण अछि, आ अमेरिकाक दबावक बावजूद एकर जारी रहनाई भारतकेँ रणनीतिक स्वायत्तता केर प्रमाण अछि। दुनू नेता पुतिनक आगामी भारत यात्रासँ पहिने सहयोग बढ़ेबा पर चर्चा, दुनू देशक बीच साझेदारी केर आओर मजबूत करबाक संकेत दैत अछि।

भारतक रणनीतिक स्वायत्तता विश्वक लेल संदेश :-

एससीओ शिखर सम्मेलन भारतक रणनीतिक स्वायत्तता केर स्पष्ट प्रमाण देलक। क्वाड (अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया आ भारत) केर सदस्य होबाक बावजूद, तियानजिनमे बीजिंग आ मॉस्कोक संग भारतक भागीदारी साबित करैत अछि जे ओ कोनो एक शक्तिक खेमा तक सीमित नहि रहत। रूस 2020 सँ निष्क्रिय रूस-भारत-चीन (आरआईसी) त्रिपक्षीय मंचक पुनर्जनन केर प्रस्ताव रखलक, जे पश्चिमी प्रभुत्वक खिलाफ एकटा जवाबी ताकतक मांग केर दर्शावैत अछि। एकर बीच, चीन, तुर्की, मिस्र आ संयुक्त राष्ट्र महासचिवकेँ एहि सम्मेलनमे उपस्थिती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्थामे एसएसीओ केर ग्लोबल साउथक एकजुटताक वैश्विक स्तर पर स्थापित करबाक प्रयास छल।
हालाकि, एससीओ केर सीमा स्पष्ट अछि। भारत आ पाकिस्तानक बीच तनाव, आर्मेनिया आ अज़रबैजान जेहन सदस्यक परस्पर विरोधी हित एससीओक मूल उद्देश्य पर प्रश्नचिन्ह लगा रहल।

नब विश्व क्रम ?

एससीओ शिखर सम्मेलन 2025 ओना वर्तमान परिपेक्ष्यमे कोनो नव विश्व क्रम स्थापित करैत नै प्रतीत भऽ रहल, मुदा वर्तमान वैश्व्यविक व्यवस्थाक लेल चुनौतीक संकेत दैत अछि। शीकेँ “धमकाबै वला व्यवहार” आ अमेरिकाक शुल्क युद्धसँ भारतकेँ चीन आ रूसक नजदीक धकेलि देलक अछि, जे एससीओ केर प्रासंगिकताक वैकल्पिक आर्थिक आ रणनीतिक मंचक रूपमे बढ़ा देलक अछि। पुतिनक चारि टा “अटल सिद्धांत” (अंतरराष्ट्रीय कानून, स्व-निर्णय, संप्रभुता, आ गैर-हस्तक्षेप) आ शी केर “निष्पक्ष, बहुध्रुवीय विश्व” केर आह्वान ग्लोबल साउथक ओहि देशक समर्थन प्राप्त कयलक जे पश्चिमी देशक थोपल व्यवस्थासँ स्वायत्तता चाहैत अछि।

अमेरिकाक लेल सबक स्पष्ट अछि : दबावपूर्ण नीति ओकर साझेदार केर वैकल्पिक खेमा दिसि धकेलि सकैत अछि। भारतक लेल, तियानजिन कूटनीति एक तरहक मास्टरक्लास अछि जे साबित कयलक जे ओ अपन राष्ट्रीय हितकेँ सुरक्षित करबाक लेल महाशक्तिक प्रतिद्वंद्विता केर नेविगेट करबामे सक्षम अछि।

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संपादकीय

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