गैस एवं पेट संबंधी रोगक निदानक ध्यान राखू। भय भगबायक लेल भगवानक ध्यान करु। पारिवारिक कलहसँ बँचू। शिव आराधना कल्याणकारी।
वृषभ (इ उ ए ओ वा वी वू वे वो) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
जय एवं अर्थलाभक योग अछि। पराक्रमी मित्रक संग भेटत। उत्तम वस्त्र लाभ केर योग अछि। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
मिथुन (का की कू घ गं छा के को हा) : अनुकूल ग्रह –
धन-संपत्तिक रक्षा करु। मान-हानि सदृश काजसँ बँचू, विघ्न निवारणक लेल गणपतिक आराधना करु। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
कर्क (ही हू हे हो डा डी डू डे) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
भाग्योदय एवं स्वादिष्ट भोजनक प्राप्तिक योग अछि। आप्त मित्रसँ भेंट संभव, वस्त्र-अलंकारक प्राप्ति एवं मनभावन समाचार सुनि सकैत छी। शिव आराधना कल्याणकारी।
सिंह (मा मी मू मे मो टा टी टू टे) : अनुकूल ग्रह :
खर्च पर नियंत्रण आवश्यक। दोसर पर निर्भरतासँ बँचू। आलस्य, ईर्ष्या आ नासमझीसँ बँची। काज-धंधामे विघ्नादिक निवारणक लेल गणपतिक आराधना करु। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
कन्या (टो पा पी पु षा णा ठा पे पो) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
चारु तरफसँ लाभे-लाभक योग अछि। स्नेहल मित्रक भेंट एवं आनंदक प्राप्ति होयत। दाम्पत्य सुख उत्तम। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
तुला (रा री रु रे रो ता ती तू ते) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
अभिलाषाक पूर्ति एवं इष्टसिद्धिक प्राप्तिक योग अछि। अधिकारमे वृद्धि एवं सम्मानक प्राप्ति होयत।घरक वातावरण सुखमय रहत। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
वृश्चिक (तो ना नी नू ने नो या यी यू) : अनुकूल ग्रह –
आलस ठिक नहिं, छाती संबधी रोगक निदानक केर प्रति सावधानी राखब। प्रशासनिक मामलासँ दुर रही, मान-हानि सदृश काजसँ बँची। सतत गणपति एवं शिव आराधना कल्याणकारी।
धनु (ये यो भा भी भू धा फा ढा) : अनुकूल ग्रह –
बाधा निवारणक लेल इष्टक ध्यान- आराधना करु। साँससँ संबंधित विकार संभव। पीड़ा एवं उद्वेग केर सामना संयमपूर्वक करैत गणपति एवं शिव आराधनामे तल्लीन रहू।
मकर (भो जा जी खी खू खे खो गा गी) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
स्नेहल मित्रक संग भेटत। दाम्पत्य सुख उत्तम। सुख-संपत्ति-सम्मानक प्राप्तिक योग अछि। प्रवास संभव। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
कुंभ (गू गे गो सा सी सू से सो दा) : अनुकूल ग्रह – चंद्र
आरोग्यलाभ भेटत। धन-संपत्ति, सुख-साधनक प्राप्तिक योग अछि। सज्जन मित्रक संग भेटत एवं शत्रु परास्त होयत। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।
मीन (दी दू झा ज्ञा था दे दो चा ची) : अनुकूल ग्रह –
मान-सम्मानक रक्षा करु। दुःख, शोक, विघ्न आदिक निवारणक लेल गणपतिक आराधना करु। भ्रममे रहि सकैत छी। सतत शिव आराधना कल्याणकारी।